
सुमित शर्मा, सीहोेर
सीहोर जिले के प्रसिद्ध सलकनपुर स्थित मां विजयासन धाम पर 29 मई से 31 मई तक चले देवीलोक महोत्सव का आयोजन बुदनी विधानसभा के लिए एक अमिट छाप छोड़ गया। ऐसा आयोजन बुदनी विधानसभा क्षेत्र में न कभी हुआ है और न ही भविष्य में इसकी कोई संभावना नजर आती है। देवीलोक महोत्सव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए भी एक ऐसा आयोजन सिद्ध होगा, जिसकी चर्चाएं कई पीढ़ियां करती रहेंगी। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने जिस तरह से देवीलोक महोत्सव के आयोजन की रूपरेखा तय की, जिस तरह से मां विजयासन ने उन्हें प्रेरणा दी। उसी तरह से कार्यक्रम केे आयोजन मेें जिला प्रशासन ने भी पूरी तरह जान फूंक दी। आयोजन के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी पूरी तरह मां की भक्ति में लीन नजर आए। यूं तो उनकी मां विजयासन में हमेशा से आस्था रही है। वे बचपन से ही यहां पर आते रहे हैं और एक छोटी सी मढ़िया से लेकर आज भव्य देवीलोक की आधारशिला रखे जाने तक यहां की कई यादें उनके जेहन में भी है। इन यादों का जिक्र भी उन्होंने अपने संबोधन में किया। प्रसिद्ध मठ, मंदिरों के प्रमुख महंत, संतों की उपस्थिति में मुख्यमंत्री ने अपनी धर्मपत्नी साधना सिंह के साथ देवीलोक की आधारशिला रखी और उसके बाद उन्होंने उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया। इस दौरान वे पूरी तरह मां की भक्ति में लीन नजर आए। उन्होंने अपने उद्बोधन की शुरूआत मां की आराधना एवं स्तुति के साथ की तो पूरे समय वे आयोजन एवं कार्यक्रम का श्रेय मातारानी की प्रेरणा को ही देते रहे। मुख्यमंत्री साल मेें दोनों नवरात्रि के दौरान तो यहां पर आते ही हैं, लेकिन अब उन्होंने देवीलोक केे निर्माण कोे लेकर जिस तरह से तत्परता दिखाई उससे उनकी यादें अब यहां पर हमेशा-हमेशा केे लिए ठहर गई। वैसे तो मुख्यमंत्री बनने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने सलकनपुर का कायाकल्प करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। यहां पर कई निर्माण कार्य कराएं। देवीलोक महोत्सव के आयोजन को लेकर जिस तरह से तत्परता जिला प्रशासन ने दिखाई यदि उस तरह की तत्परता बुदनी विधानसभा के जनप्रतिनिधि एवं आमजन दिखातेे तोे इसकी भव्यता कई गुना बढ़ जाती है। देवीलोक महोत्सव का आयोजन कई नेताओं, जनप्रतिनिधियों के लिए संजीवनी बूटी साबित होता। हालांकि कई नेता देवीलोक महोत्सव के मुख्य आयोजन में मुख्यमंत्री के सामनेे वाहवाही लूटने के लिए मंच पर मौजूद रहे, लेकिन यदि वे सच्चे मन से देवीलोक महोत्सव के आयोजन के लिए गांव-गांव में घूमे रथ के साथ भी चलते तो ये उनके लिए ये पल हमेशा यादगार बन जाते।