सीहोर में कभी ‘आंखों’ से डरने वाले अधिकारी अब जनप्रतिनिधियों को ही दिखा रहे ‘आंखें’

- सीहोर में विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधियों की नहीं सुन रहे अफसर

सीहोर। पिछले दिनों जिला अस्पताल सीहोर में रोगी कल्याण समिति की बैठक आयोजित की गई। इसमें विधायक सुदेश राय, कलेक्टर बालागुरू के., सीएमएचओ डॉ. सुधीर डेहरिया एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी शामिल हुए। इस दौरान विधायक सुदेश राय ने अस्पताल की व्यवस्थाओं को लेकर मुख्यमंत्री से शिकायत करने की बात कही। विधायक ने सीएम से शिकायत की बात कही तो यह बात आमजन तक भी पहुंची। अब लोगों में चर्चा है कि सीहोर में अफसरशाही जनप्रतिनिधियों पर भारी है। चर्चा यह भी चल पड़ी है कि कभी ‘आंखों’ से डरने वाले अधिकारी अब जनप्रतिनिधियों को ही ‘आंखें’ दिखा रहे हैं। सीहोर में एक समय था जब विधायक रहते हुए रमेश सक्सेना एवं जिला पंचायत, नगर पालिका अध्यक्ष रहते हुए जसपाल सिंह अरोरा की आंखों से चाहे अधिकारी हो, कर्मचारी हो या आमजन आंखें नहीं मिला पाते थे। जसपाल सिंह अरोरा, रमेश सक्सेना की आंखें इतनी चर्चाओं में रहती थी कि लोगों के आधे काम तो सिर्फ आंखों से ही हो जाते थे और जब काम आंखों से नहीं बनते थे तो उनकी फटकार भी लगती थी। हालांकि अब अफसरशाही जनप्रतिनिधियों पर भारी है। सीहोर जिलेभर में यह स्थिति बनी हुई है। अधिकारी चाहे विधायक हो, निगम मंडलों के अध्यक्ष हो या फिर अन्य कोई जनप्रतिनिधि उनकी नहीं सुन रहे हैं। जनप्रतिनिधियों की यह शिकायत केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव तक भी पहुंची। पिछले दिनों केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीहोर पहुंचकर जिला पंचायत सभाकक्ष में जिला विकास समन्वय एवं मूल्यांकन समिति (दिशा) की बैठक ली। इसमें उन्होंने अधिकारियों को भी आड़े हाथों लिया। हालांकि अधिकारियों की सेहत पर इसका असर ज्यादा दिनों तक नहीं टिका। अब विधायक सुदेश राय को मुख्यमंत्री से शिकायत करने की बात कहनी पड़ी। सीहोर की राजनीति में कभी रमेश सक्सेना, जसपाल सिंह अरोरा छत्रप माने जाते थे। उनकी राजनीति भी अलग ढंग से होती थी। जसपाल सिंह अरोरा अपने तरीके से राजनीति करते थे। वे जरूरतमंद एवं गरीबों की मदद के साथ ही विकास कार्यों को लेकर भी हमेशा सक्रिय रहते थे। विधायक रहते हुए रमेश सक्सेना के सामने भी ऐसी स्थितियां कभी निर्मित नहीं हुई।

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