गुरु के बिना ज्ञान नहीं और ज्ञान के बिना जीवन बेकार: पंडित प्रदीप मिश्रा

गुरु पूर्णिमा पर उमड़ा कुबेरेश्वर धाम पर श्रद्धालुओं का सैलाब, लगा शिष्यों का महाकुंभ

सीहोर. भारत में सदियों से गुरु का महत्व रहा है। यहां की माटी एवं जनजीवन में गुरु को ईश्वरतुल्य माना गया है, क्योंकि गुरु न हो तो ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग कौन दिखाएगा, गुरु ही शिष्य का मार्गदर्शन करते हैं और वे ही जीवन को ऊर्जामय बनाते हैं। अगर सद्गुरु के रूप में हमें शिव रूपी गुरु मिल जाए तो समझना हमारा जीवन सफल हो गया। उक्त विचार बुधवार को गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित गुरु दीक्षा समारोह में पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे। दीक्षा समारोह में पूरे देश के बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ आया था, समिति और प्रशासन ने पूरी व्यवस्था में दीक्षा समारोह का सफल बनाया। सुबह से ही मौसम पूरी तरह मेहरबान था।
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि मनुष्य का जीवन गुरु को बदलने के चक्कर में पड़ा रहता है। जो एक गुरु का नहीं हुआ वो दस गुरु से भी दीक्षा ले उसका भला नहीं हो सकता। गुरु वह शिव होता है जो जिह्वा और हृदय में ईश्वर नाम को रखकर विष पीकर भी अमृतमय ही रहता है और उसी परमात्मा नाम के अमृत को शिष्य के हृदय में स्थापित करके उसे भी अमृतमय बना देता है। भगवान शिव के समान दाता कोई नहीं है। वे आशुतोष हैं। अन्य देवता तो सेवा करने पर प्रसन्न होते हैं, लेकिन औघड़दानी शंकर तो बिना सेवा के भी प्रसन्न हो जाते हैं। उनका स्वभाव ही जनकल्याणकारी है।
जीवन में माता, पिता, शिक्षक और सद्गुरु शामिल-
भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि हर मनुष्य के जीवन में चार गुरु आते है। जिसमें माता, पिता, शिक्षक और सद्गुरु शामिल है। शास्त्र कहते हैं कि गुरु वह है, जो हमें अंधेरे से उजाले की ओर ले जाए। जो हमें रोशनी प्रदान करे। तो सबसे पहले ऐसा कौन करता है, सबसे पहले यह रोशनी हमें मां दिखाती है। उसके बाद पिता। वही हमारे प्रथम गुरु हैं। इसीलिए शास्त्रों में यह भी लिखा है कि माता-पिता का यथायोग्य सम्मान करना चाहिए। जरा सोचो कि अगर हमें हमारे माता-पिता द्वारा कुछ भी सिखाया न जाता तो हमारी क्या स्थिति होती। क्या हम ढंग से चल पाते, बात कर पाते, लिख पाते, व्यवसाय कर पाते! यहां तक कि हम अपने जीवन और इस शरीर की रक्षा कैसे करना है, यह भी नहीं जान पाते। मान-अपमान, प्यार और अहंकार जैसी मूल वृत्तियों को पहचानना भी हमें वही सिखाते हैं। संसार सागर में सबसे बड़ा गुरु भगवान शिव है। उसके विश्वास और आस्था बनाए।
सावन शिव महापुराण 16 जुलाई से-
विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि सावन मास के पावन अवसर पर आगामी 16 जुलाई से जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में आन लाइन सावन मास महत्व शिव महापुराण का आयोजन किया जाएगा।
भक्तों ने गुरु पूजन कर मनाई गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा को शहर में हर्षाेल्लास के साथ मनाया गया। आश्रमों व मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहा। कोरोना के दो साल में कहीं भी सामूहिक आयोजन नहीं हुए थे। इसके कारण गुरूपूर्णिमा पर भक्तों में ज्यादा उत्साह दिखाई दिया। कई जगहों पर गुरुओं ने अपने शिष्यों के लिए भोजन प्रसादी भी रखी। शहर में गुरु पूर्णिमा महोत्सव के मौके पर बुधवार को कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। शिष्यों ने अपने गुरुओं का आशीर्वाद लेकर मंदिरों में भी पूजा-अर्चना की। शहर के गीता भवन पर यशोदानंदन सेवा समिति के सदस्यों ने कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें हजारों की संख्या में भक्त शामिल हुए। इसके साथ ही गुरुदीक्षा का आयोजन भी किया गया। विश्व धर्म संसद के प्रदेश अध्यक्ष महामंडलेश्वर अजय पुरोहित ने लोगों को गुरु मंत्र देकर शिष्य बनाया। साथ ही हनुमान यंत्र का वितरण भी किया गया। इधर गोदन सरकार मंदिर चाणक्यपुरी, त्यागी बाबा आश्रम रेलवे स्टेशन रोड सहित कई अन्य जगह भी कार्यक्रम आयोजित किए गए। शहर के गीता मानस भवन बस स्टैंड पर महामंडलेश्वर यशोदानंद महाराज के सानिध्य में गुरु पूर्णिमा महोत्सव कार्यक्रम आयोजित हुआ। महाराज ने शिष्यों को आशीर्वाद दिया और इसके बाद प्रवचन दिए। कार्यक्रम दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक चला। इस बीच भंडारे का आयोजन भी किया जाएगा। साथ ही कार्यक्रम में सिद्ध हनुमान यंत्र का वितरण भी किया गया।

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