धन तेरस के अवसर पर देवी का मोती, सोने-चांदी के सिक्कों से विशेष श्रृंगार और केशर से आदि से अभिषेक

सीहोर। शहर के भोपाल नाका स्थित कार्य मंगलम में श्री शक्ति सेवा संस्थान के तत्वाधान में पांच दिवसीय स्फटिक श्री यंत्र प्राण-प्रतिष्ठा, महालक्ष्मी अनुष्ठान और विशेष यज्ञ त्रिअनुष्ठान एक साथ हो रहे हैं। एक तरफ जहां वैदिक मंत्रों के बीच यज्ञ में आहुतियां छोड़ी जाती है, तो दूसरी और श्रीयंत्र का सहस्त्रार्चन भी किया जा रहा है। हर दिन श्रद्धालुओं के द्वारा श्रीयंत्र का सहस्त्रार्चन अभिषेक किया। सहस्त्रार्चन के बाद आरती की। दूसरी ओर यज्ञ मंडप की भक्तों ने परिक्रमा की। शनिवार को आचार्य अनिल सोनी और यज्ञाचार्य पंडित पियुष शर्मा के मार्ग दर्शन में बड़ी संख्या में वेद-पाठी ब्राह्मणों के द्वारा  सुबह श्री यंत्र पूजन के बाद केशर एवं सुगंधित द्रव से अभिषेक किया गया और वहीं 1000 से अधिक चांदी और सोने के सिक्के, गोमती चक्र और पीली कोडी से मां देवी लक्ष्मी की सहस्त्रार्चन की गई।
इस मौके पर यज्ञाचार्य पंडित श्री शर्मा ने बताया कि श्री शक्ति सेवा संस्थान के तत्वाधान में पांच दिवसीय स्फटिक श्री यंत्र प्राण-प्रतिष्ठा, महालक्ष्मी अनुष्ठान और विशेष यज्ञ आदि का आयोजन लगातार दूसरी साल भी जारी है। उक्त आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आ रहे है। यहां पर सुबह शनिवार को धनतेरस पर सहस्त्रार्चन का आयोजन किया गया था। उन्होंने कहा कि धनतेरस पर मां लक्ष्मी की पूजा करना जरूरी है। धार्मिक मान्यताओं व शास्त्रानुसार समुद्र मंथन से जब प्रभु धनवंतरी प्रकट हुए थे तब उनके हाथ में अमृत से भरा कलश था। माता लक्ष्मी भी समुद्र मंथन से निकली हैं। धनतेरस को भगवान धनवंतरी की भी पूजा-अर्चना उपासना आराधना करने का अद्वितीय अविस्मरणीय व बेहद शुभ माना जाता है। इस कारण इस तिथि को धनवंतरी व धनतेरस, धन त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। वहीं इस संबंध में जानकारी देते हुए देते हुए ज्योतिषाचार्य श्री सोनी ने बताया कि रविवार को सुबह श्री यंत्र पूजन के अलावा फलों के रस से अभिषेक किया जाएगा और उसके पश्चात 1000 मोती और मंूगा, लोंग, इलाईची से सहस्त्रार्चना की जाएगी।

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