
सीहोर। क्या हम कभी भी ईश्वर द्वारा दी गई अनमोल सांसों का कर्ज उतार सकते हैं? क्या हमने इसके लिए आज तक भी उस ईश्वर का धन्यवाद किया? यदि नहीं किया है, तो हमें आज से ही ईश्वर का गुणगान करना शुरू कर देना चाहिए। दिन में लगभग 21,600 बार सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया करता है। उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी श्री नारद शिव महापुराण के दूसरे दिन भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे। उन्होंने कहा कि हमारी एक-एक सांसे अनमोल है, इनको व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए। जिससे हमको परमात्मा की शरणागति प्राप्त हो।
सोमवार को कथा के अंत में मंच पर अर्ध नारीश्वर के स्वरूप की पूजा अर्चना की गई। इस मौके पर भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा ने इस स्वरूप का वर्णन करते हुए कहा कि स्त्री-पुरुष की समानता का पर्याय है अर्धनारीश्वर। भगवान शंकर के अर्धनारीश्वर अवतार में हम देखते हैं कि भगवान शंकर का आधा शरीर स्त्री का तथा आधा शरीर पुरुष का है। यह अवतार महिला व पुरुष दोनों की समानता का संदेश देता है. समाज, परिवार तथा जीवन में जितना महत्व पुरुष का है उतना ही स्त्री का भी है। एक दूसरे के बिना इनका जीवन अधूरा है, यह दोनों एक दूसरे को पूरा करते हैं। शिव महापुराण के दूसरे दिन ब्रह्मा जी और श्री नारद श्राप के बारे में विस्तार से चर्चा की।
सत्य का अनुसरण करना चाहिए
भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि सत्य का अनुसरण करना चाहिए। जिसने सत्य को जान लिया उसका जीवन सफल हो जाता है। परमात्मा परम पिता हैं और वही सृष्टि के आधार है। परमात्मा ने ही सृष्टि की रचना की। उन्होंने कहा कि परमात्मा ने वेद ज्ञान के आधार पर चलने की आज्ञा दी है। अगर मनुष्य को सत्य को सही मायने में प्राप्त करना है तो उसे वेदों के अनुसार चलना होगा। संसार में सत्य और असत्य दोनों है। जो व्यक्ति सत्य का सहारा लेकर आगे बढ़ता है उनका हमेशा कल्याण होता है वहीं असत्य का सहारा लेने वाला व्यक्ति पतन की ओर उन्मुख हो जाता है। मनुष्य को अपने जीवन को कर्म प्रधान बनाना चाहिए। जो व्यक्ति अच्छा कर्म करेगा उसे परमात्मा निश्चित रूप से अच्छा फल प्रदान करेंगे।