Sehore News : वीआईपी कल्चर वाले मां-बाप पहुंचते वृद्धाश्रम: पंडित प्रदीप मिश्रा

वीआईपी कल्चर वाले मां-बाप पहुंचते वृद्धाश्रम: पंडित प्रदीप मिश्रा

सीहोर। बच्चों द्वारा माता-पिता को वृद्धाश्रम में रहने के लिए छोड़ने की वजह बच्चे अकेले नहीं हैं। ठीक उसी तरह जिस तरह ताली एक हाथ से नहीं बजती है। पूरे देशभर के वृद्धाश्रम में जाकर पता कर लेना। इन आश्रमों रहने वाले मां-बाप बच्चों में सही संस्कार नहीं डालते। इसके कारण यह कष्ट उठाने को विवश होते हैं। वीआईपी कल्चर के माता-पिता ही वृद्धाश्रम में रहते हैं। वह अपने बच्चों को उच्च शिक्षा तो देते हैं, लेकिन संस्कार के नाम पर शून्य कर देते हैं। मेरा निवेदन हर मां-बाप से है कि वह अपने बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कार दे, ईश्वर की भक्ति करने की प्रेरणा दे। उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी श्री नारद शिव महापुराण के छठवें दिवस भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे। इससे पहले रात्रि को प्रसिद्ध भजन गायक किशन भगत के भजनों की प्रस्तुति का आयोजन देर रात्रि को किया गया। इस मौके पर हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने रिमझिम बारिश की फुहारों के मध्य जमकर आनंद लिया। रात्रि साढ़े नौ बजे तक आयोजित भजन संध्या में भजन गायक किशन भगत ने सुंदर प्रस्तुति दी।
शिव महापुराण के दौरान भागवत भूषण श्री मिश्रा ने कहा कि बच्चों द्वारा माता-पिता को वृद्धाश्रम में छोड़ने की वजह सबों का एक दूसरे के साथ सामंजस्य स्थापित करके चलने में कमी है। दोनों अपनी जिद पर कायम रहते हुए एक-दूसरे के जीवन जीने के तरीकों में परिवर्तन लाना चाहते हैं। यहीं से टकराव शुरू होता है। भगवान रूपी माता-पिता को बच्चे के जीवनसाथी के सुख-दुख से कोई मतलब नहीं रहता है। बच्चों की नई गृहस्थी, माता-पिता बनने की नई जिम्मेदारी को उठाते समय किसी तरह का सहयोग नहीं करते हैं। ऐसी स्थिति में याद आता है, बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से खाय। सुख-दुख में जो अपने परिवार के साथ रहते हैं ऐसे संस्कार हमें शिव महापुराण आदि से प्राप्त होते हैं।
अन्न का अपमान नहीं होना चाहिए-
पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि अन्न का अपमान नहीं होना चाहिए। जिनकी वजह से हमारे जीवन में परेशानियां लगातार बनी रहती हैं। आज बात करते हैं भोजन झूठा छोड़ने की। किसी पार्टी, होटल, दोस्त के घर या अपने ही घर में हम भोजन करते समय अपनी थाली में जूठन छोड़ देते हैं। दरअसल अन्न में देवी अन्नपूर्णा का निवास है। अतरू इसका अपमान करने से मां भगवती का अपमान होता है। इसे झूठा छोड़ने वाला पाप का भागी होता है। व्यक्ति भोजन के प्रति लापरवाह हो जाता है भोजन का सम्मान नहीं करता है। साथ ही किसी न किसी मुसीबत में उलझा रहता है। प्रायरू देखने में आता है कि लोग खाते कम है और झूठन के रूप में अन्न की बर्बादी ज्यादा करते है। इसलिए हमें सभी समाजों में नियम बनाने होगे की अधिक स्टाल न लगाकर लोगों को जागरूक किया जाए। विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि शनिवार को श्री नारद महापुराण का समापन किया जाएगा। वहीं शुक्रवार को महापुराण के दौरान आस्था और उत्साह के साथ भगवान गणेश का विवाह उत्साह मनाया।