Sehore News : गुरु चमत्कार करने वाला नहीं, भगवान से मिलाने वाला होना चाहिए : पंडित प्रदीप मिश्रा

45 क्विंटल से अधिक फलहारी प्रसादी का श्रद्धालुओं को किया वितरण

सीहोर। शिव भक्ति का स्मरण करो, अनुमोदन करो, जिंदगी तर जाएगी। घर के अंदर व मंदिर में अपने भगवान, देवता के पास समय बिताने का आह्वान किया। कहीं भी जाए या शाम को घर लौटे तो पहले भगवान के पास जरूर बैठे और कृतज्ञता व्यक्त करें कि दिनभर आपकी कृपा से अच्छा निकला। जनम, मरण एवं परण सभी भगवान के हाथ में है। मनुष्य की देह बहुत मुश्किल से मिलती है। आज जो जीवन हमें मिला है उसे व्यर्थ ना गवाएं। छोटे-छोटे बच्चों को संस्कारित कर राष्ट्रहित की सोच के साथ अपने सनातनी धर्म की ओर अग्रसर करें। इस संसार में गुरु चमत्कार करने वाला नहीं भगवान से मिलाने वाला होना चाहिए। भगवान शिव पर भरोसा और विश्वास रखो। चमत्कार तो कुछ दिनों चलता है, लेकिन भगवान शिव को नमस्कार करने वाला हमेशा रहता है। हमें भक्त की तरह भक्ति करना चाहिए। हमारी भक्ति मीरा की तरह होनी चाहिए। उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी सात दिवसीय श्री गुरु श्री शिव महापुराण के 5 वें दिवस भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे। रविवार को देवशयनी एकादशी के पावन अवसर पर 45 क्विंटल से फलहारी खिचड़ी, खोफरा पाक, सेव आदि 45 क्विंटल से अधिक महाप्रसादी का वितरण किया गया।
उन्होंने कहा कि शास्त्रों के अनुसार गुरु का अर्थ होता है अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करने वाला। गुरु अपने ज्ञान से शिष्य के अज्ञानता को दूर कर प्रकाश की ओर ले जाने का कार्य करता है। इसलिए गुरु वंदनीय हैं। साधक या शिष्य के लिए जिस प्रकार आराध्य के वंदन की जरूरत होती है, वैसे ही गुरु के अर्चन की आवश्यकता होती है। क्योंकि बिना गुरु के ज्ञान मिल पाना असंभव है। साधक के लिए भगवान और गुरु समान हैं। गुरु के माध्यम से भगवान तक भी पहुंचा जा सकता है। गुरु अपने शिष्यों के जीवन में अनेकों दिव्य अनुभूतियां कराते हैं। चमत्कार बाहर नहीं शिष्य के अंदर घटित होते हैं। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा चमत्कार यह है कि इंसान के भीतर ही ईश्वर को ज्योति स्वरुप में प्रकट कर देते हैं। उन्होंने कहा कि प्राणी के जीवन में सद्गुरू का विशेष महत्व है, हम अपने जीवन में सद्गुरू को याद कर उनको चरण वंदन करते हैं। भक्त का अचारण ही अपने गुरु की प्ररेणा देता है और भक्त का आचरण ही अपने गुरु के ज्ञान के प्रचार-प्रसार करता है। यदि भक्त के अच्छे सत्कर्म हैं, तो गुरु की हर जगह प्रशंसा होती है। गुुरु की कृपा से ही भक्त भवसागर से पार होता है। भक्त को कभी भी छल कपट नहीं करना चाहिए।
नारियां प्रतिदिन कष्ट का सेवन करती है-
रविवार को शिव महापुराण के 5 वें दिन भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि मृत्यु लोक में जितनी भी नारियां, बेटियां, बहन और माताओं का जन्म होता है, उसमें अर्ध स्वरूप शिव का होता है। नारियां प्रतिदिन कष्ट रूपी विष का हंस कर सेवन करती है। भगवान शंकर के अर्धनारीश्वर अवतार में हम देखते हैं कि भगवान शंकर का आधा शरीर स्त्री का तथा आधा शरीर पुरुष का है। यह अवतार महिला व पुरुष दोनों की समानता का संदेश देता है। समाज, परिवार तथा जीवन में जितना महत्व पुरुष का है उतना ही स्त्री का भी है। एक दूसरे के बिना इनका जीवन अधूरा है, यह दोनों एक दूसरे को पूरा करते हैं।
मंच से की भगवान शिव परिवार की पूजा अर्चना-
विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि रविवार को भगवान शिव के परिवार की झांकियां सजाई गई थी, इसके अलावा हजारों की संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं को फलहारी प्रसादी का वितरण किया गया। शिव महापुराण के 5 वें दिन आधा दर्जन से अधिक पंडालों में श्रद्धालुओं ने श्रवण किया।