Sehore News : निस्वार्थ भक्ति और मित्रता करने वाला ईश्वर से प्रेम करता है : पंडित अजय पुरोहित

कथा के समापन पर निकाली गई भव्य शोभा यात्रा

सीहोर। संसार में ईश्वर को छोड़कर ऐसा कोई नहीं है जो अपना सर्वस्व किसी को दे दें। यदि मांगना है तो मेरे ठाकुर से मांगों, उसे मित्र बनाओ। वह हर जीव का मित्र है। भगवान का भक्त बनना सरल, किंतु उनकी मित्रता मिल जाए। यह तभी संभव है। जब स्वयं निस्वार्थ बनोगे। शारीरिक मिलन तुच्छ है। मन का मिलन दिव्य है। उक्त विचार शहर के गंज स्थित वीर दुर्गादास पार्क में पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष स्व. श्री बेनी प्रसाद राठौर और स्व. श्रीमती ज्ञानवती राठौर के पुण्य स्मरण में जारी सात दिवसीय भागवत कथा के अंतिम दिन पंडित अजय पुरोहित ने व्यक्त किए। इस मौके पर शाम को कथा के विश्राम दिन पर भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। शोभा यात्रा का अनेक स्थानों पर स्वागत किया।
रविवार को कथा के विश्राम दिवस पर पंडित श्री पुरोहित ने भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा चरित्र का विस्तार से वर्णन करते हुए कहाकि वर्तमान में रिश्ते स्वार्थ के होते है, यदि धनी व्यक्ति दरिद्रों को सम्मान दे, तो आज भी सभी नगर द्वारका और सारे देशों में रामराज्य स्थापित हो सकता है। अगर इस युग में अपने दरिद्र मित्र की सहायता नहीं की तो अगले जन्म में आपका दरिद्र होना सुनिश्चित है। निस्वार्थ भक्ति और मित्रता करने वाला ईश्वर से प्रेम करता है। मित्र बनाना तो सुदामा की तरह भगवान को मित्र बनाओ। प्रभु से मित्रता इंसान का साथ परलोक तक निभाती है। उन्होंने कहा कि हमारे भारत देश को गुरुओं और संतों की धरती कहा जाता है। आज हम इस संसार पर नजर दौड़ाएं, तो पाते हैं कि भाईचारा, आपसी प्रेम भाव कही पर नजर नहीं आता है। जहां देखो अत्याचार, पापचार, दुख-कलेश, भाई-भाई का दुशमन दिख रहा है, सामाजिक रिश्ते नाते बिखर कर रह गए है, आपसी रिश्तों नातों का कोई महत्व ही दिखाई नही देता, बस स्वार्थ दिखाई देता है। अगर इस संसार में हमारा कोई अपना सखा है तो वह परमात्मा ही है। महाभारत के युद्ध के समाप्त हो जाने बाद श्री कृष्ण जी अर्जुन को कहते है कि पार्थ तुम रथ से पहले उतरो लेकिन अर्जुन श्री कृष्ण को कहता है कि पहले आप उतरो। नियम तो यह है कि पहले सारथी ही उतरता है तब श्री कृष्ण जी कहते है कि पार्थ तेरे लिए आज मैं यह नियम भी तोड दूंगा, तो फिर अर्जुन रथ से नीचे उतरता है और उसके बाद श्री कृष्ण जी रथ से उतरते है तभी उस रथ में भीषण विस्फोट होता है और रथ टूट जाता है। यह है एक सच्चे मित्र की मित्रता। अब फैसला हमारे हाथ में हमने सांसरिक मित्रता का चयन करना है या फिर आलौकिक मित्रता का। जरूरत है हमें हर पल उस प्रभु के आगे प्रार्थना करने की हमारी जिन्दगी में भी ऐसा मित्र जाए जिससे हमारा जीवन भी एक आदर्श बन जाए। कथा के विश्राम दिवस महा आरती का आयोजन किया गया था। इस मौके पर राठौर समाज के अध्यक्ष सतीश राठौर, समाजसेवी रुद्र प्रकाश राठौर, विवेक राठौर, नगर पालिका अध्यक्ष प्रिंस राठौर, यजमान शिवम राठौर सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।