सीहोर जिले के गांवों का कल्चर जानने के लिए होना था सर्वे, लेकिन घर पर बैठे-बैठे ही भर दिए फार्म

प्रत्येक ग्राम पंचायत में जाकर लोगों से करनी थी बातचीत, पता लगाना था उनका रहन-सहन, खान-पान

सुमित शर्मा, सीहोर।
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सरकारी सिस्टम को दुरूस्त करने के लिए मुख्यमंत्री तो लगातार सख्ती बरत रहे हैं, लेकिन सिस्टम में काम करने वाले मुख्यमंत्री के इरादों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि सीहोर जिले की ग्राम पंचायतों में रहने वाले लोगों के रहन-सहन, उनका खान-पान, उनकी बोली, भाषाएं सहित कौन से गांव में कौन सी ऐतिहासिक, पुराणिक महत्व के मंदिर, वस्तु या अन्य कोई चीज है। इसको जानने के लिए कल्चर सर्वे होना था, लेकिन इसमें भी फर्जीवाड़ा कर दिया गया। कल्चर सर्वे का काम सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) संचालकों के माध्यम से करवाया गया था, लेकिन सीएससी संचालकों ने घर पर बैठे-बैठे ही सर्वे का काम कर दिया। जमीनी स्तर पर जाकर न तो लोगों से बातचीत की गई और न ही उनसे कुुछ जानने की कोशिश की गई।
सीहोर जिले के बुदनी विधानसभा स्थित नसरूल्लागंज विकासखंड में इस कल्चर सर्वे में सबसे ज्यादा गड़बड़ियां सामने आर्इं हैं। कल्चर सर्वे का काम सीएससी संचालकों के माध्यम से होना था। इसके लिए सर्वे टीम बनाकर गांव-गांव में भेजनी थी और लोगों से बातचीत करनी थी। कम से कम 10 लोगों से इसमें बातचीत करके इसकी रिपोर्ट बननी थी, लेकिन सीएससी संचालकों ने घर पर बैठे-बैठे ही कल्चर सर्वे कर दिया।
फोटो बुलवाकर कर दी अपलोड-
दरअसल कल्चर सर्वे के दौरान सर्वेयर को गांवों में जाकर संबंधित गांव में यदि कोई ऐतिहासिक या पुराणिक महत्व की कोई इमारत, मंदिर या अन्य कोई चीज हो तो उसका फोटो लेना था और उसके बारे में जानकारी जुटानी थी, लेकिन सीएससी संचालकों ने ऐसे गांवों से फोटो बुलवा लिए और उनको ही अपलोड करवा दिया। इसके लिए न तो गांवों में टीमें गर्इं और न ही ग्रामीणों से कोई बातचीत की गई।
फरवरी-22 में शुरू हुआ, जुलाई तक चला-
कल्चर सर्वे का कार्य फरवरी-2022 में शुरू किया गया था और जुलाई-2022 तक यह पूरा भी कर लिया गया। इस दौरान न तो कल्चर सर्वे टीम गांवों में पहुंची और न ही लोगों से कोई बातचीत की गई। बताया जा रहा है कि अब यह सर्वे कार्य पूर्ण भी हो गया है और इसकी रिपोर्ट भी सम्मिट कर दी गई है।
ये थे कल्चर सर्वे के प्रमुख बिंदु-
– गांव का पहनावा क्या है?
– गांव का रहन-सहन, खाना-पीना क्या है?
– गांव में क्या कोई मेला लगता है?
– गांव में क्या कोई ऐतिहासिक व पुराणिक महत्व का कोई मंदिर या ईमारत है?
– गांव की क्या खासियत, क्या विशेषता है?
– गांव की जनसंख्या, गांव प्रधान सहित अन्य बिंदुओं पर चर्चा करनी थी।
इनका कहना है-
गांवों की स्थिति, गांवों का रहन-सहन, खाना-पीना, उनका पहनावा सहित अन्य जानकारी के लिए कल्चर सर्वे कराया गया था। सर्वे का कार्य पूर्ण हो चुका है और अब सर्वे की जांच की जा रही है कि कहीं कोई गलत जानकारियां तो नहीं भरी गई है। कई जगह आॅफलाइन सर्वे भी किया गया था।
– सुनील वामनिया, सीएससी इंचार्ज, जिला सीहोर

कल्चर सर्वे को लेकर मेरे पास कोई जानकारी नहीं है। मैं जानकारी लेकर ही कुछ बता पाऊंगा।
– प्रवाल अरजरिया, सीईओ, जनपद पंचायत नसरूल्लागंज