सीहोर। त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के पहले चरण के आए नतीजों के बाद भाजपा के अंदरखानों में बगावत भी तेज हो गई है। सीहोर के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जसपाल सिंह अरोरा ने आरोप लगाया है कि जिस तरह से सीहोर जनपद पंचायत के पहले चरण के चुनाव नतीजे आए हैं वह भाजपा के लिए शर्मनाम स्थिति है। जिला पंचायत, जनपद पंचायत सहित सरपंच पदों के लिए खड़े हुए उम्मीदवारों को भाजपा नेताओं ने समर्थन दिया था और उनके लिए प्रचार-प्रसार किया था उससे तो हर जगह भाजपा प्रत्याशियों की ही जीत होनी थी, लेकिन जहां-जहां सीहोर के भाजपा नेताओं ने प्रत्याशियों पर अपनी मोहर लगाई थी वहां-वहां सब जगह भाजपा समर्थित प्रत्याशियों की हार हुई है। यह भाजपा की नहीं, बल्कि क्षेत्र के नेताओं की हार है, यह उनकी व्यक्तिगत हार है।
सेमीफाइनल हारे, कहीं फानइल न हार जाएं-
जसपाल सिंह अरोरा ने यह भी कहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले हुए त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव एवं नगरीय निकाय चुनाव भाजपा के लिए सेमीफाइनल हैं, लेकिन पहले चरण की मतगणना ने नजीते अच्छे नहीं दिए हैं। अब कहीं 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी पार्टी यहां न हार जाए, इस पर भी मंथन करना चाहिए। जसपाल सिंह अरोरा ने आरोप लगाया है कि पार्टी में उनकी लगातार अनदेखी की जा रही है। हाल ही में नगरीय निकाय चुनाव के लिए बनाई गई समितियों में भी उनको नहीं रखा गया है। वे पार्टी विरोधी नहीं हैं और पार्टी यदि उन्हें काम करने का आदेश देगी तो वे मैदान में उतरकर पार्टी के लिए काम करेंगे। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ने कहा कि नगर पालिका सीहोर के लिए भी पार्टी के ही उम्मीदवारों में घमासान मचा हुआ है। जिन भाजपा नेताओं को टिकट नहीं मिला है वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। इससे भी नुकसान भाजपा को ही होगा।
दूरगामी परिणाम भी बिगड़ेंगे-
पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जसपाल सिंह अरोरा ने कहा कि पहले चरण में यह स्थिति बनी है, जबकि अभी दो चरणों के चुनाव बाकी हैं। इसके अलावा निकाय चुनाव भी अभी शेष हैं। पहले चरण में ज्यादातर जगह से हारे भाजपा प्रत्याशियों के कारण कहीं अगले चरण में चुनाव परिणाम भी प्रभावित न हों, इसको लेकर पार्टी नेताओं को गंभीरता से विचार करना चाहिए। भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में कार्य कर रही हैं, लेकिन सीहोर जिले में पार्टी नेताओं के बीच में आपसी सामंजस्य नहीं बैठ पाना पार्टी के लिए चिंताजनक है। इस पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को सोचना एवं विचार करना चाहिए।
जबाव देने से बचते रहे जिलाध्यक्ष-
इस संबंध में चर्चा करने के लिए भाजपा के जिलाध्यक्ष रवि मालवीय से चर्चा करनी चाही, लेकिन उनसे चर्चा नहीं हो सकी।