सीहोर। पुरुष और प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित होने से ही सृष्टि सुचारु रूप से चल पाती है। शिव पुरुष के प्रतीक हैं, तो पार्वती प्रकृति की। पुरुष और प्रकृति के बीच यदि संतुलन न हो, तो सृष्टि का कोई भी कार्य भलीभांति संपन्न नहीं हो सकता है। जहां भी शिव है वहीं पर कृष्ण भी है। उक्त विचार शहर के बड़ा बाजार स्थित अग्रवाल धर्मशाला में जारी सात दिवसीय भागवत कथा के दूसरे दिन भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे। उन्होंने कहा कि इस संसार में सबसे अधिक भगवान शिव के मंदिर वृंदावन में है।
भक्ति, ज्ञान, वैराग्य सीखाकर त्याग, तपस्या के मार्ग से मोक्ष तक ले जाए वो होती है भागवत कथा
मंगलवार को भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि भक्ति, ज्ञान, वैराग्य सीखाकर त्याग, तपस्या के मार्ग से मोक्ष तक ले जाए वो होती है भागवत कथा। जिस प्रकार रामायण हमें जीना सिखाती है, महाभारत हमें रहना और गीता हमें कार्य करने का उपदेश देती है उसी प्रकार भागवत कथा का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह हमें मरना सिखाती है। हमें जीवन के अंत समय में किस तरह और क्या कार्य करने चाहिए इस कथा से सीखने को मिलता हैं। जीवन में आने वाली समस्याओं से भागता है, उसे समस्याएं अपने नजदीक खींच लेती है इसलिए भागवत उपदेश देती है की समस्याओं से भाग मत यानी इन समस्याओं पर विजय प्राप्त कर। अग्रवाल महिला मंडल की अध्यक्ष श्रीमती ज्योति अग्रवाल ने बताया कि मंगलवार को कथा के तीसरे दिन वामन अवतार की कथा का वर्णन किया जाएगा। इस मौके पर भगवान वामन की झांकी भी सजाई जाएगी। उन्होंने बताया कि भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा के द्वारा शहर के अग्रवाल धर्मशाला में लंबे समय से भागवत कथा की जाती है, इस वर्ष भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के द्वारा कथा का श्रवण किया जा रहा है।