
सीहोर. जिला मुख्यालय के करीबी ग्राम पिपालियामीरा के पास स्थित जयश्री गायत्री पनीर फैक्ट्री की लगातार लापरवाही के चलते उसे प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड द्वारा बंद करने के आदेश दिए गए हैं। दरअसल इस पनीर फैक्ट्री को लेकर पिछले कई वर्षों से ग्रामीणों द्वारा शिकायत की जा रही थी। शिकायत केे बाद भी फैक्ट्री पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे बाद फिर से किसानों ने फैक्ट्री को बंद करने के लिए आंदोलन छेड़ दिया था। किसान लगातार कलेक्टर के पास भी शिकायतें लेकर आ रहे थे। बता दें कि इस पनीर फैक्ट्री से निकलने वाले कैमिकलयुक्त गंदे पानी से सीवन नदी और एक नाला का पानी प्रदूषित हो रहा था। इस दूषित पानी से किसानों की फसलें खराब हो रहीं थीं। साथ ही जलीय जीवों की भी मौत हो रही है। ग्रामीणों ने जयश्री गायत्री पनीर फैक्ट्री से निकले दूषित पानी को लेकर अपनी आवाज बुलंद की थी। इसके बाद एसडीएम ब्रजेश सक्सेना ने नायब तहसीलदार शैफाली जैन के साथ एक जांच दल फैक्ट्री से निकलने वाले दूषित पानी की जांच के लिए भेजा था। नायब तहसीलदार और उनकी टीम ने मौके पर पहुंचकर पंचनामा बनाया था। इसमें प्राथमिक रिपोर्ट में फैक्ट्री से निकलने वाले पानी से नाले का पानी दूषित होना पाया गया था। नायब तहसीलदार ने जांच प्रतिवेदन भी एडीएम को सौंप दिया था। इसकी जांच एसडीएम अभी कर ही रहे थे। इसी बीच गुरुवार को मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जल प्रदूषण निवारण नियंत्रण अधिनियम 1974 की धारा 35 क के तहत जयश्री गायत्री पनीर फैक्ट्री को बंद करने के निर्देश दिए हैं।
दो साल पहले ही हो गई थी अनुमति की वैधता समाप्त-
बोर्ड ने आदेश में उल्लेख किया है कि जयश्री गायत्री फूड प्रोडक्ट्स अधिनियम 1974, 1981 के तहत मिल्क आधारित उत्पादन निर्माण के लिए सशर्त सहमति दी थी। इसकी वैधता 31 मई 2019 तक थी। फैक्ट्री को दिए गए जल सम्मति पत्र में सशर्त उल्लेख किया गया था कि दूषित जल प्रदूषण नियंत्रण के लिए। दूषित जल उपचार संयंत्र की स्थापना और उसका संचालन संधारण कर दूषित जल को फिल्टर प्लांट लगाकर उसे साफ करने के निर्देश दिए थे। लेकिन जब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने फैक्ट्री का निरक्षण किया तो पाया कि उक्त निर्देशों को फैक्ट्री प्रबंधन पालन नहीं कर रहा है। साथ दूषित पानी को परिसर के बाहर नाले में छोड़ा जा रहा है।
बोर्ड ने पांच बार दिया नोटिस-
बोर्ड ने फैक्ट्री प्रबंधन को दूषित पानी के लिए प्रबंधन और उपचार परिसर के बाहर फिल्टर प्लांट लगाने के लिए लगातार पांच नोटिस जारी किए गए, लेकिन फैक्ट्री के संचालक ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। इसके बाद जब भी बोर्ड अधिकारियों ने फैक्ट्री परिसर का निरीक्षण किया तो हमेशा अनियमितताएं मिलीं। साथ ही पाया गया कि फैक्ट्री से निकलने वाले प्रदूषित जल से आसपास के क्षेत्र में जल प्रदूषित हो रहा है।
इनका कहना है-
फैक्ट्री की शिकायत आ रही थी। शिकायत की जांच के लिए नायब तहसीलदार को जिम्मा सौंपा था, जिसमें प्राथमिक तौर पर फैक्ट्री से प्रदूषित पानी निकलना पाया गया था। जांच प्रतिवेदन मेरे पास है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का आदेश मेरे पास नहीं आया है। आदेश मेरे पास आते ही बोर्ड के निर्देशों का पालन कराया जाएगा।
– ब्रजेश सक्सेना, एसडीएम, सीहोर