ई-श्रम कार्ड की आड़ में चल रहा पीएमजीदिशा का गोरख-धंधा!

- ग्रामीणों को डिजिटल प्लेटफार्म से जोड़ने के अभियान को भी लगा रहे पलीता

सीहोर। जिलेभर में ई-श्रम कार्ड बनाने की आड़ में प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीदिशा) का भी गोरख धंधा चल रहा है। दरअसल ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले युवाओं सहित अन्य वर्ग के लोगों को डिजिटल प्लेटफार्म से जोड़ने के लिए यह कवायद की गई है, लेकिन इसमें भी जमकर धांधली की जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशभर सहित सीहोर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को पूरी तरह डिजिटल बनाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने वर्ष 2014 से प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीदिशा) की शुरूआत की है। इसके लिए प्रत्येक गांव में कम से कम 300 लोगों को प्रशिक्षण देना है। प्रशिक्षण के लिए सीएससी संचालकों को जिम्मेदारी दी गई है। सीएससी संचालकों द्वारा संबंधित गांव में जाकर उसी गांव की आईडी बनाकर युवाओं को प्रशिक्षण देना है, लेकिन इसमें जमकर गड़बड़ियां की जा रही हैं।
एक परिवार से एक का बनना है-
प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीदिशा) के तहत एक परिवार से एक व्यक्ति को प्रशिक्षण देकर सर्टिफिकेट देना है, लेकिन सीएससी संचालक द्वारा यहां पर गड़बड़ियां की जा रही हैं। सीहोर जिले के नसरूल्लागंज विकासखंड के कई गांवों में लाखों रुपए की हेराफेरी का मामला सामने आया है। इसमें एक परिवार की समग्र आईडी पर पूरे परिवार के लोगों का पंजीयन किया जा रहा है। सरकार द्वारा प्रति व्यक्ति 300 रुपए सीएससी संचालक को भी दिए जा रहे हैं। इसमें सीएससी संचालकों द्वारा प्रशिक्षण देकर यह गड़बड़ियां लंबे समय से की जा रही हैं।
इसलिए दिया जा रहा है प्रशिक्षण-
प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीदिशा) के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के प्रत्येक घर से एक व्यक्ति को डिजिटल रूप से साक्षर बनाने की कवायद की जा रही है। इसके लिए अभियान भी चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिकों को कम्प्यूटर व डिजिटल उपकरणों जैसे टेबलेट, स्मार्टफोन, ईमेल भेजना व रिसीव करना, इंटरनेट चलाना, इंटरनेट से सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाना, इंटरनेट पर जानकारी ढूंढना व आॅनलाइन पेमेंट करना आदि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।