
आष्टा। ज्ञान से ही शांति की प्राप्ति होती है। परम्परा के प्रति आदर हो और विचार पूर्वक संवाद हो शांति और सुख का आविर्भाव होता है। दूसरों को यश दीजिये तो प्रभु आपके आंगन में खेलेंगे। दृष्टि अनुकूल होगी तो ही आनन्द मिलेगा। दोष देखने वाला परमात्मा में भी दोष देख लेता है। मधुमक्खी परागण ढूंढती जबकि मक्खी गन्दगी की और आकृष्ट होती है। यह दिव्य जीवन सूत्र वेदाचार्य डॉ निलिम्प त्रिपाठी ने अपने प्रवचनों में प्रभु प्रेमी संघ द्वारा स्थानीय मानस भवन में आयोजित हिन्दू नव वर्ष समारोह में व्यक्त किए। नववर्ष में नव उत्कर्ष और नवाचार के साथ