सीहोर. राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर सीहोर जिला मुख्यालय सहित सभी तहसील न्यायालयों में वर्ष की प्रथम नेशनल लोक अदालत आयोजित की गई। जिला न्यायालय में आयोजित नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष आरएन चंद ने किया। उन्होंने कहा कि नेशनल लोक अदालत त्वरित एवं सुलभ न्याय का अच्छा अवसर है। लोक अदालत जैसे राष्ट्रीय पर्व में सभी नागरिकों को अपना योगदान देना चाहिए। लोगों को नेशनल लोक अदालत में आकर इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए। नेशनल लोक अदालत में 2637 प्रकरणों का हुआ निराकरण।
सिविल प्रकरणों में हुआ समझौता-
प्रथम श्रेणी की न्यायिक मजिस्ट्रेट कुमारी के. शिवानी द्वारा नेशनल लोक अदालत में उनवान भगवती बाई वि. सलाउद्दीन के 5 प्रकरण 138 पराक्राम्य लिखित अधिनियम के लंबित थे। इनमें से 2 प्रकरण 4 लाख रुपए के थे। पक्षकारों के मध्य जमीनी विवाद होने के कारण चैक प्रकरणों का निराकरण नहीं हो रहा था। कुमारी के. शिवानी द्वारा अथक प्रयासों से 5 प्रकरणों का निराकरण एकसाथ राजीनामा के आधार पर करवाया जाकर निपटारा किया गया। इसी प्रकार प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट तनु गर्ग द्वारा प्रकरण क्रमांक 559/2016 उनवान अजय तिवारी एवं अन्य वि. जितेन्द्र (जितू) राठौर धारा 138 पराक्राम्य लिखित अधिनियम के रुपए 5 लाख 15 हजार 123 रुपए के प्रकरण में उभयपक्ष को कई बार समझाइश दी जाकर और अथक प्रयास किए जाने के बावजूद दोनों पक्ष वर्ष 2016 से 6 साल पुराना लंबित प्रकरण का राजीनामे के आधार पर निपटारा किया गया। उभयपक्ष खुशी-खुशी विदा होकर घर लौटे।
एक करोड़ 15 लाख रुपए के सिविल प्रकरण का राजीनामा-
प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट केशव कुमार द्वारा नेशनल लोक अदालत में धारा 138 पराक्राम्य लिखित अधिनियम के प्रकरण में 15 लाख रुपए के प्रकरण में दोनों पक्षों के बीच श्री कुमार द्वारा अथक प्रयास कर समझाईश दी जाकर उनके बीच आपसी सहमति से राजीनामा करवाया जाकर प्रकरण का निपटारा किया गया। दोनों पक्ष नेशनल लोक अदालत में लाभांवित होकर घर लौटे और तनाव से ग्रस्त पक्षकारों का लोक अदालत में राजीनामा होने से हंसते-मुस्कुराते हुए न्यायालय से विदा हुए। इस खंडपीठ में तीन प्रकरण 5 वर्ष से अधिक समय से लंबित एवं 5 प्रकरण 4 वर्ष से अधिक पुराने प्रकरण में भी राजीनामा के आधार पर प्रकरणों का निपटारा किया गया। यह भी उल्लेखनीय है कि परिवादी की मृत्यु हो जाने पश्चात उसके पुत्र विधिक वारिसान ने आरोपी से राजीनामा किया गया।
दम्पति ने कहा अब कभी अलग नहीं होंगे हम-
नेशनल लोक अदालत में प्रकरण क्रमांक 40/2022 अराधना यादव वि. योगेश यादव के प्रकरण में आवेदिका अराधना यादव को प्रताड़ित कर छोड़ रखा था, जिससे परेशान होकर उसने कुटुम्ब न्यायालय में भरण-पोषण का केस दर्ज किया। प्रकरण में न्यायालय के पीठासीन अधिकारी अनिल कुमार अग्रवाल द्वारा कई बार समझाईश दी जाकर प्रकरण का निराकरण किया गया। राजीनामा होने से दोनों पक्ष खुश हुए। दंपति ने कहा कि वह अब कभी नहीं लड़ेंगे तथा सुखमय दाम्पत्य जीवन व्यतीत करेंगे। नेशनल लोक अदालत में भारी संख्या में प्रकरणों के निराकरण में पक्षकारों एवं अभिभाषक की उत्सुकता देखी गई। अधिकांश पक्षकार अपने प्रकरण का निराकरण समझौते के माध्यम से होने से चेहरे पर मुस्कान लेकर बिदा हुए।