रेहटी। आंवलीघाट स्थित गुरुदत्त कुटी आश्रम में स्वामी जमुनागिरी महाराज के पावन सानिध्य में चल रही नव दिवसीय श्रीमद देवी भागवत महापुराण कथा में वृंदावन से पधारे अर्जुनराम शास्त्री कान्हा जी महाराज ने सातवें दिवस में सती अवतार एवं भगवती सती का पावन प्रसंग सुनाते हुए 108 शक्तिपीठों का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि जब भगवती सती ने अपना दिव्य शरीर योगा अग्नि में प्रवेश कराया। उस समय महादेव भगवती सती के शरीर को लेकर भ्रमण करने लगे, तब देवताओं ने प्रार्थना की और भगवान विष्णु के चक्र सुदर्शन का प्रयोग किया। इससे भगवती सती का शरीर कट-कट कर गिरने लगा। जहां-जहां मां सती के शरीर के अंग कटकर गिरे, वहां शक्तिपीठों का निर्माण हो गया।