रेहटी। रमघड़ा स्थित पवित्र रूद्रधाम में चल रहे नव कुंडात्मक श्री शिवशक्ति महायज्ञ के पांचवे दिन भगवान काशी विश्वनाथ एवं त्रयम्बेश्वर भगवान की पूजा-अर्चना कर रूद्राभिषेक किया गया। इस दौरान आचार्य जीवनलाल शास्त्री ने पार्थिव शिवलिंगों की महिमा बताते हुए कहा कि भगवान शिव की श्रेष्ठ पूजा पार्थिव शिवलिंग पूजा ही है। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के सबसे अनन्य व प्रिय देवता भगवान शिव हैं। स्वयं भगवान श्रीराम ने दो बार पार्थिव शिवलिंग का पूजन व अभिषेक कर इसकी धार्मिकता एवं वैज्ञानिकता को प्रमाणित किया है। पार्थिव शिवलिंग पूजा के महत्व की व्याख्या करते हुए आचार्य जीवनलाल शास्त्री ने श्रीरामचरितमानस की चौपाई लिंग थाप विधिवत कर पूजा। शिव समान प्रिय मोहि न दूजा… की व्याख्या करते हुए कहा कि भगवान श्रीराम की कृपा बिना शिवार्चन जैसे धार्मिक महत्व के अवसर प्राप्त नहीं होते हैं। भगवान श्रीराम ने स्वयं दो बार पार्थिव शिवलिंग की पूजा, अभिषेक एवं विसर्जन किया है। मानस में पहले गंगा पार करते समय पार्थिव शिवलिंग की पूजा का उल्लेख केवट प्रसंग के दौरान आया है, जबकि दूसरी बार पार्थिव शिवलिंग का निर्माण लंका विजय के लिए सेतुबंध रामेश्वरम में भगवान श्रीराम द्वारा किया गया था। इस अवसर पर प्रदीप जी शास्त्री, संदेश शास्त्री, राजेश शास्त्री, कपिल शास्त्री, अभिषेक शास्त्री, हीरालाल शास्त्री सहित अन्य ब्राम्हणों ने भगवान शिव का आराधना किया।
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