नयी दिल्ली
विश्व तीरंदाजी (डब्ल्यूए) ने घोषणा की कि उसने 2028 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक खेलों में इनडोर कम्पाउंड स्पर्धाओं को शामिल करने का प्रस्ताव रखा है।
भारत में इस खेल के हाई परफार्मेंस निदेशक ने उम्मीद जतायी कि अगर इसे स्वीकार कर लिया जाता है तो यह देश के लिए बड़ा बदलाव साबित हो सकता है।
फिलहाल ओलंपिक खेल में केवल रिकर्व स्पर्धाएं होती हैं।
अधिक अंक वाले कम्पाउंड स्पर्धा को इनडोर (अंदर) और आउटडोर (बाहर) दोनों जगह खेला जा सकता है। यह एशियाई खेलों, यूरोपीय खेलों, पैन अमेरिकन खेलों, ‘वर्ल्ड गेम्स’ और विश्व विश्वविद्यालय खेलों के खेल कार्यक्रमों का हिस्सा हैं, लेकिन इसे ओलंपिक में शामिल नहीं किया गया है।
डब्ल्यूए ने कहा, ‘‘ विश्व तीरंदाजी का प्रस्ताव पुरुषों, महिलाओं और मिश्रित टीमों के लिए एक अतिरिक्त इनडोर तीरंदाजी प्रतियोगिता के लिए है जो वर्तमान नौ दिवसीय ओलंपिक कार्यक्रम में लगभग तीन दिनों तक चलेगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ रिकर्व प्रारूप में तीरंदाजों को 70 मीटर की दूरी से निशाना लगाना होता है जबकि इंडोर रिकर्व में उन्हें 18 मीटर से निशाना लगाना होता है। इस तरह की सुविधा अमेरिका में पहले से मौजूद है जो पेरिस (2024) के बाद होने वाले इन खेलों (2028) का मेजबान है।’’
इस मामले में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति अंतिम निर्णय लेने से पहले, अन्य खेलों से मिली प्रविष्टियों के सुझाव का भी मूल्यांकन करेगा।
भारतीय तीरंदाजी के हाई परफार्मेंस निदेशक संजीव सिंह ने विश्व निकाय के फैसले की सराहना की, इसे भारत के लिए ‘ बड़ा बदलाव’ वाला करार दिया। भारत ने इस खेल में अभी ओलंपिक पदक नहीं जीता है।
सिंह ने कहा, ‘‘हमारे कम्पाउंड तीरंदाज बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। छह साल के समय में ऋषभ यादव, प्रथमेश फुगे और जवाकर, कुंदेरा, प्रिया गुर्जर, परनीत कौर, अदिति, प्रगति और साक्षी के मौजूदा जूनियर लॉट पूरी तरह से तैयार होंगे और ओलंपिक पदक जीतने के दावेदार होंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह भारतीय तीरंदाजी के लिए बड़ा बदलाव हो सकता है। तीरंदाजी को स्कूल और कॉलेजों में बड़े पैमाने पर खेला जा सकता है ।’’