बिना ब्रांड‌ वाली खाने पीने की चीजें हो सकती हैं महंगी, GST काउंसिल की बैठक में हो सकता है फैसला

 नई दिल्ली
 
देश में अब बिना ब्रांड वाले डिबाबंद (पैकेज्ड) खाने पीने की चीजों और अनाजों पर भी जीसटी लगाए जाने की तैयारी शुरू हो गई है।  सूत्रों के जरिए मिली जानकारी के मुताबिक इस मुद्दे को अगले हफ्ते चंडीगढ़ में होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक के एजेंडे में शामिल किया जा सकता है। जानकारी के मुताबिक इन उत्पादों के ऊपर पांच फीसदी जीएसटी लगाया जा सकता है।

 पिछले हफ्ते हुई इससे जुड़ी जीएसटी के मंत्रियों के समूह की बैठक में सहमति बन गई है कि ऐसे सभी उत्पादों पर टैक्स लगाया जाएगा जो किसी ब्रांड के तहत रजिस्टर्ड नहीं है लेकिन स्थानीय नाम से उत्पाद बेचते हैं। मौजूदा समय में ऐसे उत्पादों पर कोई जीएसटी नहीं है। मंत्रियों के समूह में इस बारे में त्रिपुरा उच्च न्यायालय के उस फैसले का भी संज्ञान लिया गया है जिसमें एक चावल बेचने वाली कंपनी के ऊपर किसी ब्रांड का दावा न करते हुए अपने नाम से उत्पाद बेचने लिए टैक्स लगाने का फैसला सुनाया गया था। यही वजह है कि मंत्रियों का समूह इस नतीजे पर पहुंचा है कि अब ऐसे सभी उत्पादों पर टैक्स वसूला जाएगा। चंडीगढ़ में जीएसटी काउंसिल की बैठक 28 और 29 जून को होनी है। उससे एक दिन पहले यानी 27 जून 2022 को जीएसटी अधिकारियों की बैठक होनी है। उसी बैठक में इन दरों को अंतिम रूप दिया जा सकता है। साथ ही इसकी वसूली से जुड़ी चुनौतियों पर भी चर्चा की जाएगी।
 

देश में बिना ब्रांड के अनाज या फिर खाने पीने की चीजों पर कोई टैक्स की व्यवस्था नहीं थी। और उस पर जीएसटी नहीं लगाया जाता था। अब अगर इन उत्पादों पर टैक्स की व्यवस्था हो जाते हैं तो उसके बाद इन उत्पादों के दाम बढ़ने भी तय हैं। सूत्रों के मुताबिक सरकार अब उन खाद्य पदार्थों के लिए कोई टैक्स छूट की इजाजत नहीं देगी जहां पैकेट बनाकर एक नाम से सामान बेचा जाता है लेकिन ब्रांड के तौर पर कोई दावा नहीं किया जाता है। इस बारे में देश भर से कई जानकारियां मिली हैं कि खाने पीने के सामान से जुड़े उद्योग बिना किसी ब्रांड के पैकेजिंग करके उत्पाद बेचते थे और उस पर जीएसटी बचा रहे थे।

गड़बड़ी करने वाले आसानी से पकड़ में आएंगे
जानकारों के मुताबिक अब तक ये नियम न होने की वजह से जीएसटी से जुड़े टैक्स अधिकारी कारोबारियों को छोड़ देते थे लेकिन अब उन पर शिकंजा कसा जा सकेगा। जीएसटी मामलों के विशेषज्ञ अभिषेक राजा राम ने बताया कि इससे उन कारोबारियों को नुकसान होगा जो छोटे स्तर पर अपना काम करते थे। अब तक तो उन्हें कोई टैक्स नहीं देना होता था लेकिन अब उन पर भी बड़ी कंपनियों की ही तरह टैक्स लगना शुरू हो जाएगा तो जाहिर है उनकी बिक्री पर असर देखा जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि ऐसे उत्पादों को धर पकड़ के लिए छापेमारी करके आसानी से गड़बड़ी करने वाले कारोबारियों को पकड़ा जा सकता है।