वास्तु के अनुसार घर की पश्चिम दिशा का क्या है महत्व..
वास्तु शास्त्र के अनुसार हमारे आसपास सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह की ऊर्जाएं होती है जिसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन में पड़ता है। वास्तु शास्त्र में हर एक दिशा का विशेष महत्व होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार किस दिशा में कौन सी चीजें रखनी चाहिए और किस दिशा में नहीं। वास्तु शास्त्र के अनुसार हर एक दिशा पर किसी न किसी देवी या देवता का आधिपत्य होता है। आज हम आपको वास्तु के अनुसार पश्चिम दिशा घर में रहने वाले सदस्यों के जीवन पर कैसा प्रभाव डालते हैं इसके बारे में बताने जा रहे हैं।
पश्चिम दिशा का महत्व
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की पश्चिम पर वरूण देवता का आधिपत्य होता है। इसके अलावा किसी स्थान की पश्चिम दिशा में शनि देवता है भी आधिपत्य होता है। ऐसे में अगर पश्चिम दिशा में वास्तु संबंधी कोई दोष होता हो जातक को कई तरह के कष्टों का सामना करना पड़ता है। वास्तु के अनुसार पश्चिम दिशा में शनि का प्रभाव होने के कारण इस दिशा में बैठकर कार्य करना निषेध माना जाता है। वहीं इस दिशा में बैठना और सोना दोनों की वर्जित होता है। पश्चिम दिशा में मुह करके कार्य को करने या सोने पर व्यक्ति को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है।
वास्तु के नियम को मुताबिक घर की पश्चिम दिशा की ऊंचांई घर के दूसरे हिस्सों से कभी कम नहीं होनी चाहिए। घर में इस वास्तु दोष के होने पर व्यक्ति सांस से संबंधित कई तरह की बीमारियां होने लगती है। इस दोष के कारण बेवजह के खर्चें बढ़ जाते हैं। वास्तु के अनुसार घर के पश्चिम दिशा में भूलकर भी किचन नहीं बनना चाहिए। इससे बीमारियां और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार जिन लोगों के घर का मुख्य दरवाजा पश्चिम दिशा में होता है वहां पर कभी भी धन नहीं टिकता है। यहां पर रहने वाले सदस्य कर्ज के बोझ के चलते दबे रहते हैं। जब किसी व्यक्ति के घर का पानी पश्चिम दिशा से होकर निकलता है तो वहां पर रहने वाले सदस्यों को लंबी बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
वास्तुदोष को दूर करने के उपाय
जब किसी व्यक्ति के घर की पश्चिम दिशा से संबंधित कोई वास्तु होता है तो व्यक्ति को इस दिशा में अशोक का पेड़ लगना चाहिए। इसके अलावा इस दिशा से वास्तु दोष को दूर करने के लिए वास्तु यंत्र का प्रयोग करना लाभकारी होता है।