भोपालमध्य प्रदेश

भाजपाईयों के दम पर चुनाव लड़ेगी आप

टिकट कटने और न मिलने की संभावना वाले भाजपा नेताओं में बढ़ाया आप से संपर्क
भाजपा के करीब 80 विधायकों पर मंडरा रहा टिकट कटने का खतरा
ग्वालियर-चंबल, विंध्य, मालवा और बुंदेलखंड में आप बिगाड़ेगी भाजपा का खेल

भोपाल । मप्र के नगरीय निकाय चुनावों में तीसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी आम आदमी पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनाव में सभी 230 सीटों पर चुनाव लडऩे का ऐलान किया है। सूत्रों का कहना है कि इस ऐलान के पीछे भाजपा के सैकड़ों असंतुष्ट नेताओं का प्लान है। दरअसल, इस साल नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा जहां खराब प्रदर्शन वाले करीब 80 विधायकों का टिकट काटने की तैयारी में है, वहीं हर विधानसभा सीट पर भाजपा के असंतुष्ट नेताओं की फौज है। इसको देखते हुए आप ने मप्र में बड़ा दांव लगाने की तैयारी कर ली है। यानी असंतुष्ट जनाधार वाले भाजपाईयों को टिकट देकर बड़ी लड़ाई लड़ेगी आम आदमी पार्टी।पंजाब-दिल्ली में सरकार बनाने के बाद अब आम आदमी पार्टी की निगाहें मप्र में आ टिकी है। नगरीय निकाय चुनाव में आप का औसत प्रदर्शन बढिय़ा रहा है। पार्टी ने पहली बार ही चुनाव में उतरकर सिंगरौली नगर निगम में महापौर पद पर कब्जा जमाया है, वहीं प्रदेशभर में कई पार्षद भी बनाए हैं। इससे आप को संजीवनी मिली है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि विधानसभा चुनाव में हम केवल किसी पार्टी को टक्कर देने नहीं बल्कि सरकार बनाने के लिए उतरेंगे।

एंटी इनकम्बेंसी बनेगी हथियार
गौरतलब है कि संघ, केंद्रीय भाजपा संगठन, प्रदेश संगठन और निजी एजेंसियों के सर्वे में भाजपा के खिलाफ प्रदेश में जबर्दस्त एंटी इनकम्बेंसी है। आज की स्थिति में भाजपा के आधे से अधिक विधायक जीतने की स्थिति में नहीं हैं। सूत्रों का कहना है कि आम आदमी पार्टी ने इसी का फायदा उठाने की रणनीति बनाई है। गौरतलब है कि प्रदेश में बेरोजगारी, महंगाई, गरीबी सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। सरकार सबकुछ जाते हुए भी इन्हें गौण रखे हुए है। ऐसे में आप इन मुद्दों को भुनाने के लिए रणनीति बना चुकी है। गौरतलब है कि दिल्ली और पंजाब में अपने आकर्षक सौगातों से आप ने देशभर में माहौल बनाया है। पार्टी के रणनीतिकारों को उम्मीद है कि इसका फायदा मप्र में मिलेगा।

127 में से 80 के कटेंगे टिकट
भाजपा सूत्रों के अनुसार मप्र में गुजरात फॉर्मूला अपनाएं जाने की संभावना बढ़ गई है। गुजरात में भाजपा ने 40 फीसदी मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिए थे।  नतीजे आए तो भाजपा ने कुल सीटों में से 86 फीसदी सीटें जीतकर इतिहास रच दिया। गुजरात के ऐतिहासिक नतीजों के बाद मप्र के विधानसभा चुनाव में गुजरात फॉर्मूला अपनाया जाने के आसार लग रहे हैं। अगर गुजरात फार्मूला अपनाया जाता है तो यहां पर मौजूदा 127 में से 80 विधायक के टिकट पर तलवार लटक जाएगी। सूत्रों का कहना है कि टिकट कटने की संभावना को देखते हुए भाजपा के कई विधायक अभी से आप के संपर्क में आ गए हैं। इनके अलावा भाजपा के करीब एक सैकड़ा टिकट के दावेदार भी आप से नजदीकी बढ़ा रहे हैं।

बागियों के लिए मुफीद आप
गुजरात विधानसभा चुनाव में चार सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी मप्र में इस बार राजनीतिक दलों के गणित बिगाडऩे में कामयाब हो सकती है। गुजरात में इस पार्टी को 13 प्रतिशत वोट मिले हैं। प्रदेश में हुए नगरीय निकाय चुनावों में आप ने अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्शा दी है। सिंगरौली में उसने मेयर पद पर जीत दर्ज की तो ग्वालियर नगर निगम में भी उसके प्रत्याशी ने चालीस हजार से अधिक मत हासिल किए। यही नहीं नगर परिषदों, नगरपालिका और नगर निगमों में उसने साठ से अधिक पार्षद के पदों पर भी जीत दर्ज की है। प्रदेश में आप इस बार दोनों दलों के बागियों के लिए मुफीद हो सकती है। आप उन स्थानों पर समीकरणों को प्रभावित करेगी जहां जीत हार का फासला दो से तीन फीसदी वोटों का रहता है। पिछली बार के विधानसभा चुनाव में 44 सीटों पर तीन प्रतिशत से कम, 30 सीटों पर दो और 16 सीटों पर जीत का अंतर एक फीसदी से भी कम वोटों का रहा था। ऐसे में बागियों की आश्रय स्थली आप बन सकती है। ये बागी जीत भले ही न पाएं पर चुनावी गणित को जरूर उलट- पलट सकते हैं।

सर्वे से उड़ी नींद
पार्टी द्वारा अपने विधायकों की छवि और जीत की संभावनाओं को लेकर तीन सर्वे कराए गए हैं। इन सर्वे के बारे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विधायकों से वन टू वन करके बता रहे हैं। संगठन सूत्रों की मानें तो इस सर्वे में करीब साठ विधायकों को लेकर एंटीइनकमबेंसी की बात सामने आई है। यही वजह है कि सीएम शिवराज सिंह उन्हें कमियों को समय रहते ठीक करने की नसीहत दे रहे हैं। इसके अलावा पार्टी के दिग्गज नेता क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल, राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री शिवप्रकाश, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद चुनावी रणनीति और टिकट वितरण के फॉर्मूले को लेकर लगातार मंत्रणा कर रहे हैं। इन बैठकों में केन्द्रीय नेतृत्व की ओर से दी गई गाइडलाइन को लेकर भी चर्चा हो रही है। यह भी संकेत मिल रहे हैं कि जल्द होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार में कई मंत्रियों का पत्ता कट सकता है।

लगातार जीत रहे विधायकों के टिकट खतरे में
अगले चुनाव को लेकर अटकलों ने प्रदेश भाजपा नेताओं की नींद उड़ा कर रख दी है। गुजरात फॉर्मूला प्रदेश में लागू हुआ तो पिछले कई बार से लगातार चुनाव जीत रहे विधायकों के टिकट खतरे में पड़ सकते हैं। चिंता में वे मंत्री भी हैं जो 2003 से लगातार मंत्रिमंडल में किसी न किसी कारण से जमे हैं। नेताओं की चिंता का कारण भी वाजिब है, दिल्ली में इस समय जो नेतृत्व है, वह चौंकाने वाले सख्त फैसलों के लिए जाना जाता है। यही वजह है कि चुनाव से एक साल पहले ही टिकट को लेकर इन नेताओं के मन में अनिश्चितता के बादल घुमडऩे लगे हैं।

भाजपा नेताओं की निगाहें दिल्ली की तरफ
गुजरात के नतीजों से उत्साहित भाजपा अब अन्य राज्यों में भी इस प्रयोग को दोहराने पर विचार कर रही है। मप्र के विधानसभा चुनावों में अभी 10 महीने का समय बचा है। लिहाजा जल्द मप्र में भी नया राजनीतिक प्रयोग दिल्ली की प्रयोगशाला से देखने मिले तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। अब प्रदेश भाजपा नेताओं की निगाहें दिल्ली की तरफ लगी हैं। दरअसल, केन्द्रीय नेतृत्व ने कुछ बिंदुओं पर जानकारी मांगी है। ये बिंदु हैं अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर क्या रणनीति तैयार की है। कौन से क्षेत्रों में कितनी मेहनत की जरूरत है। वोट शेयर बढ़ाने के लिए केन्द्र के निर्देश पर शुरू किए गए अभियान के अब तक क्या परिणाम दिख रहे हैं। बूथस्तर तक क्या तैयारी है। केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही फ्लैगशिप योजनाओं से कितने हितग्राही लाभान्वित हो रहे हैं। संगठन इनसे किस तरह व्यक्तिगत सम्पर्क कर वोट बैंक बढ़ाने के प्रयास कर रहा है। 2018 की तुलना में इस बार परिस्थितियों में क्या अंतर आया है। कांग्रेस किन क्षेत्रों में ज्यादा मजबूत दिख रही है।

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