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अपने भक्तों को ढूंढ लेते हैं भगवान भोलेनाथ: पंडित प्रदीप मिश्रा

लाखों श्रद्धालुओं को किया गया 80 क्विंटल से अधिक खिचड़ी का वितरण

सीहोर। भगवान को अपने भक्तों को तलाश करने में समय नहीं लगता है। वह किसी ना किसी रूप में उसके पास तक पहुंच ही जाते हैं इसलिए कुबेरेश्वरधाम की धरती पर हो रही श्रीशिवमहापुराण कथा में पूरी तरह से लीन हो जाएं। यदि हम तन, मन और चित्त से भक्ति में डूब गए तो समझना भगवान भोलेनाथ की कृपा हो गई है। उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी सात दिवसीय शिव महापुराण के छठवे दिन भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा ने कही। उन्होंने कहा कि शहर ही नहीं आस-पास के सभी सामाजिक संगठन, संस्था, जिला प्रशासन, आने वाले श्रद्धालु, समिति, ग्रामीण कथा का श्रवण करने आए श्रद्धालुओं की सेवा में जुटे हुए हैं। भोजन, पानी, चाय, नाश्ते के अलावा ठहराने से लेकर हर व्यवस्था बनाने में जुटे हुए हैं। ऐसी सेवा करने वाले सीहोरवासी, सामाजिक संगठन, संस्थाओं को मेरा नमन। इस दौरान पंडित प्रदीप मिश्रा ने बाबा मैं तेरे भरोसे भजन सुनाया। उन्होंने कहा कि कथा के आरंभ में श्रद्धालुओं का समूह उमड़ने से व्यवस्था में कमी आई थी, लेकिन सभी के सहयोग से व्यवस्था बनी है।
समिति द्वारा बनाए गए सभी पंडाल खचाखच भरे हुए हैं। मंगलवार को भी लाखों की संख्या में आए श्रद्धालुओं को 80 क्विंटल से अधिक खिचड़ी की प्रसादी का वितरण किया। यहां पर खिचड़ी के साथ आठ क्विंटल से अधिक गुड़, 12 क्विंटल नुक्ती आदि की व्यवस्था भी की गई थी। मंगलवार को पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि शिवभक्त अपने भोले को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने को हर जतन करते हैं। इसमें पूजा और जलाभिषेक सर्वाेपरि है। पूजा में भगवान शिव को चढ़ने वाली वस्तुओं में धतूरा की बड़ी महिमा बताई गई है। पुराणों के अनुसार भगवान शिव को एक धतूरा चढ़ाने का महत्व तरह-तरह के लाभ होते हैं। आज फुलेरा दूज है उसके द्वारा पूजा-अर्चना से हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य का जीवन सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यही वह जन्म है जिसमें इंसान जो चाहे पा सकता है। हम बगैर मुहूर्त के जन्म लेते हैं और बगैर मुहूर्त के हमारी मृत्यु भी हो जाएगी। इसके बाद भी हम अपना समस्त जीवन बिना लक्ष्य के ही काट देते हैं। जब तक शिव की कृपा नहीं होती तब तक जीवन सफलता नहीं मिलती है।
एक लोटा जल सभी समस्याओें का हल-
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि हम सभी मंदिर जाते हैं। भजन कीर्तन करते हैं। शिवमहापुराण की कथा कहती है कि हमें यह ज्ञात नहीं था हमें एक लोटा जल चढ़ाने का क्या फल मिलेगा? एक लोटा जल महादेव को चढ़ाने से समस्त देवी देवताओं का अभिषेक हो जाता है, यह हमें ज्ञात नहीं था। जब हमने भगवान शंकर को जाना तो भोलेनाथ की भक्ति के बल पर हमें ज्ञान हुआ कि भगवान का स्मरण करने का फल क्या मिलता है। पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि धर्म हमें मंजिल का पता बताएगा और कर्म मंजिल तक पहुंचाएगा। जो व्यक्ति अपने जीवन को मानवता की सेवा में समर्पित कर दे, वहीं सच्चा सेवक है। आज ज्यादातर लोग भौतिक वस्तुओं को पाने के लिए अपना पूरा जीवन व्यतीत कर देते हैं, लेकिन जब वे इस दुनिया से विदा होते हैं तो वे अपने साथ कुछ भी नहीं ले जा पाते। उनकी सारी कमाई यहीं रह जाती है। अगर वे कोई चीज अपने साथ ले जाते हैं तो वह है उनके अच्छे कर्म और लोगों की दुआएं। मनुष्य का एक ही कर्म व धर्म है और वह है मानवता। हम इस दुनिया में इंसान बनकर आए हैं तो सिर्फ इसलिए कि हम मानव सेवा कर सकें। पूरे विश्व में ईश्वर ने हम सभी को एक-सा बनाया है।
शिव महापुराण का भव्य समापन-
विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि मंगलवार को कथा का शुभारंभ सुबह नौ बजे से दोपहर बारह बजे तक किया जाएगा। कथा का समापन पूरी आस्था और उत्साह के साथ किया जाएगा। इस मौके पर अन्नकूट की सब्जी और पूडी, नुक्ती आदि के रूप में श्रद्धालुओं को प्रसादी प्रदान की जाएगी।

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