किसी को भी उसकी इच्छा के बिना कोरोना-वैक्सीन लगाने के लिए बाध्य नहीं कर सकते: सरकार
नई दिल्ली
कोरोना महामारी से बचाव के लिए भारत में वैक्सीन के लोगों को 150 करोड़ से ज्यादा डोज दिए जा चुके हैं। हालांकि, अभी भी बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है, और सरकार से स्पष्टीकरण मांगा गया तो सरकार ने कहा है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए कोविड टीकाकरण दिशा-निर्देश किसी व्यक्ति की सहमति के बिना जबरन टीकाकरण की परिकल्पना नहीं करते। यानी किसी को भी उसकी इच्छा के बिना जोर-जबरदस्ती से वैक्सीन नहीं लगाई जा सकती।
विकलांग व्यक्तियों को टीकाकरण प्रमाण पत्र बनाने से छूट देने के मुद्दे पर, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि, इस बारे में उसने कोई एसओपी जारी नहीं की है, जो किसी भी उद्देश्य के लिए टीकाकरण प्रमाण पत्र ले जाना अनिवार्य करती है। केंद्र ने यह बात अपने हलफनामे में गैर सरकारी संगठन इवारा फाउंडेशन की एक याचिका के जवाब में कही है, जिसमें विकलांग व्यक्तियों के लिए घर-घर जाकर प्राथमिक तौर पर कोविड-टीकाकरण की मांग की गई है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है, "यह बता दिया जाए कि कि भारत सरकार और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी निर्देश और दिशानिर्देश संबंधित व्यक्ति की सहमति प्राप्त किए बिना किसी भी तरह से जबरन टीकाकरण की परिकल्पना नहीं करते हैं। हालांकि, यह भी जाहिर है कि मौजूदा महामारी की स्थिति को देखते हुए कोविड के लिए टीकाकरण सार्वजनिक हित में ही है।" मंत्रालय ने कहा कि, "विभिन्न प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से यह विधिवत सलाह दी जाती है, कि सभी नागरिकों को टीकाकरण करवाना चाहिए और इसकी सुविधा के लिए कई प्रणालियों और प्रक्रियाओं को डिजाइन किया गया है।" सरकार ने स्पष्ट कहा, "हालांकि, किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के खिलाफ टीकाकरण के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।," भारत सरकार की वेबसाइट पर दिए गए डेटा के अनुसार, अब तक देशभर में लोगों को वैक्सीन की 1,57,20,41,825 डोज दी जा चुकी हैं। जिसमें से 39,46,348 बीते 24 घंटे में दी गईं।