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भाजपा ओबीसी मोर्चा सीहोर ने मनाई गाडगे बाबा की जयंती

रेहटी। भाजपा अन्य पिछड़ा वर्ग मोर्चा जिला सीहोर द्वारा रेहटी भाजपा कार्यालय में स्वच्छता अभियान के जनक, समाज सुधारक संत गाडगे बाबा की जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा अन्य पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश मंत्री दीपक नरवरिया मौजूद रहे। ओबीसी मोर्चा के जिलाध्यक्ष बनवीर सिंह चंद्रवंशी ने मुख्य अतिथि का फूल माला, शॉल-श्रीफल से स्वागत किया। इससे पहले मुख्य अतिथि सहित स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया। स्वागत भाषण बनवीर सिंह चंद्रवंशी जिलाध्यक्ष ओबीसी मोर्चा द्वारा दिया गया। कार्यक्रम का संचालन भाजयुमो के सलकनपुर ग्रामीण मंडल अध्यक्ष धर्मेंद्र सोलंकी ने किया। इसके बाद मुख्य अतिथि ने संत गाडगे बाबा के जीवन एवं उनके द्वारा किए गए समाज सुधार के कार्यों पर प्रकाश डाला। इस दौरान वरिष्ठ भाजपा नेता आसाराम यादव, अनार सिंह चौहान सहित अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी अपनी बात रखी। इस मौके पर ओबीसी मोर्चा के पदाधिकारी, कार्यकर्ता सहित अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।
भीख मांगकर की गरीबों, लाचारों की सेवा-
यहां बता दे कि गाडगे बाबा का जन्म 23 फरवरी 1876 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले के शेणगांव अंजनगांव में हुआ था। उनका बचपन का नाम डेबूजी झिंगराजी जानोरकर था। उन्होंने महाराष्ट्र के कोने-कोने में अनेक धर्मशालाएं, गौशालाएं, विद्यालय, चिकित्सालय तथा छात्रावासों का निर्माण कराया। यह सब उन्होंने भीख मांग-मांगकर बनवाया, किंतु अपने सारे जीवन में इस महापुरुष ने अपने लिए एक कुटिया तक नहीं बनवाई। उन्होंने धर्मशालाओं के बरामदे या आसपास के किसी वृक्ष के नीचे ही अपनी सारी जिंदगी बिता दी। यद्यपि बाबा अनपढ़ थे, किंतु बड़े बुद्धिवादी थे। पिता की मौत हो जाने से उन्हें बचपन से अपने नाना के यहां रहना पड़ा था। वहां उन्हें गायें चराने और खेती का काम किया। सन 1905 से 1917 तक वे अज्ञातवास पर रहे। इसी बीच उन्होंने जीवन को बहुत नजदीक से देखा। अंधविश्वासों, बाह्य आडंबरों, रूढ़ियों तथा सामाजिक कुरीतियों एवं दुर्व्यसनों से समाज को कितनी भयंकर हानि हो सकती है, इसका उन्हें भलीभांति अनुभव हुआ। इसी कारण इनका उन्होंने घोर विरोध किया। संत गाडगे बाबा के जीवन का एकमात्र ध्येय था- लोक सेवा। दीन-दुखियों तथा उपेक्षितों की सेवा को ही वे ईश्वर भक्ति मानते थे।

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