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सीहोर: कुबेरेश्वर धाम एवं प्रशासन पर ठोका एक करोड़ का दावा तोे इन वकील साहब ने किया कुछ ऐसा काम

सीहोर-भोेपाल। सीहोर जिला मुख्यालय के नजदीकी पंडित प्रदीप मिश्रा के कुबेरेश्वर धाम पर पिछले दिनोें भव्य रूद्राक्ष महाकुंभ का आयोजन किया गया था। इस आयोजन में उमड़े श्रद्धालुओं के कारण 16 फरवरी को भोपाल-इंदौैर हाईवे मार्ग पूरी तरह जाम हो गया। इसके बाद रूद्राक्ष महोत्सव को लेकर जहां विरोेध शुरू हो गया तोे वहीं कई सवाल भी उठने लगे। इसी दौरान इंदौर से एक व्यक्ति द्वारा सीहोर जिला प्रशासन सहित कुबेरेश्वर धाम पर एक करोड़ का दावा ठोका गया। इसके अलावा कानूनी तौर पर नोटिस भेजे जाने का उल्लेख भी किया जा रहा है। इधर इस मामलेे के प्रकाश मेें आने केे बाद वकील नरेंद्र शर्मा ने पंडित प्रदीप मिश्रा के कुबेरेश्वर धाम एवं जिला प्रशासन की व्यवस्थाओें को बेेहतर बताते हुए दावा ठोकने वाले व्यक्ति से कुछ सवाल किए हैैं। साथ ही अधिवक्ता नरेंद्र शर्मा ने इस मामले की पैरवी करनेे की इच्छा जताई है। इसके एवज में उन्होेंने सिर्फ एक रूद्राक्ष लेने की बात कही है। अधिवक्ता नरेंद्र शर्मा नेे एक करोड़ का दावा ठोकनेे वाले व्यक्ति सहित पूरी व्यवस्थाओं को लेकर सवाल उठाए हैं-
– यह कि सीहोर पुलिस प्रशासन द्वारा 10 फरवरी 2023 को ही प्रेस के माध्यम से आमजन को सूचित कर दिया था कि 16 से 22 फरवरी 2023 तक कथा एवं रुद्राक्ष वितरण आयोजन के कारण इंदौर सीहोर भोपाल को जाने वाले भारी वाहनों को देवास से वाया श्यामपुर होते हुए भोपाल आने की एडवाइजरी जारी की गई थी। 15 तारीख की शाम ही देवास मार्ग पर पुलिस बेरीकेट्स भी लगाए गए थे। ऐसे में ऐहतियात को नजरंदाज करते हुए डाइवर्ट मार्ग से ना जाकर सीहोर मार्ग से जाना कहां से तर्कसंगत प्रतीत होता है।
– यह कि आयोजन स्थल पर आयोजन दिनांक से एक दिवस पहले ही सीहोर के आसपास ट्रैफिक जाम लगना शुरू हो गया था एवं इससे संबंधित खबरें भी इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में प्रकाशित होने लगी थीं, जो कि सूचना के रूप में उक्त मार्ग से नहीं जाने के लिए पर्याप्त कारण था।
– यह कि उक्त खबर में उल्लेख है कि शिकायतकर्ता किसी मामले की सुनवाई के लिए भोपाल आने के लिए निकले थे, परंतु देर होने के चलते नहीं पहुंच सके। प्रश्न यह है कि ऐसे में माननीय न्यायालय से पक्षकार के अधिवक्ता द्वारा कारण बताकर अगली तारीख ली जा सकती थी और ऐसा किया गया होगा ये मेरा अनुमान भी है। तो इसमें एक करोड़ की क्या हानि हो गई, ये फिलहाल तो समझ से परे बात है।
– यह कि यातायात व्यवस्था के लिए कुबेरेश्वर धाम मंदिर, सीहोर को अथवा पंडित प्रदीप मिश्रा को दोषी ठहराना कितना न्यायोचित है। हालाकि इस बिंदु पर विस्तृत बात हमारे द्वारा नोटिस का अध्ययन करने के उपरांत की जाएगी। अतः यह स्पष्ट है कि प्रथम दृष्टया यह दावा कानूनी रूप से कमजोर तथा आधारहीन प्रतीत हो रहा है तथा इस मामले में नोटिस की प्रति का समुचित अध्ययन करने तथा पंडित प्रदीप मिश्रा जी से अनुमति के उपरांत न्यायोचित समस्त प्रतिवाद किया जाएगा। मेरे द्वारा इस मामले में अधिवक्ता की फीस के रूप में आशीर्वाद स्वरूप एक रुद्राक्ष मात्र शेष निःशुल्क लिया जाएगा।

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