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आष्टा में हिंदू राष्ट्र लिखा ध्वज पर बवाल, बना अफरा-तफरी का माहौल

आष्टा। हनुमान प्रकटोत्सव को लेकर सब जगह तैयारियां चल रही हैं। तैयारियों के बीच में सीहोर जिले के आष्टा नगर में प्रशासन और हिंदू संगठन आमने-सामने आ गए। इन दोनों के बीच में जमकर बवाल भी मचा। दरअसल हनुमान जयंती को लेकर आष्टा नगर में जगह-जगह केसरिया ध्वज लगाए गए हैं। जगह-जगह हनुमान जयंती को लेकर बैनर, पोस्टर भी लगाए गए। आष्टा नगर में कन्नौद रोड पर संघ कार्यालय पर झंडा लगाया गया है, जिसमें हिंदू राष्ट्र लिखा हुआ है। रोड के दोनों किनारों पर बांधे जाने से और उसमें दो छोटे-छोटे पत्थर बंधे हुए होने से किसी ने इसकी शिकायत अधिकारियों से कर दी। इसके बाद नगर पालिका के कर्मचारी ध्वज को हटाने पहुंच गए। इस दौरान हिंदू संगठन के कार्यकर्ता इकट्ठे होकर ध्वज हटाने का विरोध करने लगे। प्रशासन का कहना है कि इस झंडे को लगाने के लिए हिंदू संगठनों द्वारा प्रशासन से कोई अनुमति नहीं ली गई। इस पर कई लोग आपत्ति कर रहे हैं। इधर हिंदू संगठनों का कहना है कि जो भी आपत्ति कर रहे हैं यह जिन्होंने शिकायत की है उसको सार्वजनिक किया जाए। एहतियात के तौर पर नगर में सुरक्षा व्यवस्था भी बड़ा दी गई।
बन गया अफरा-तफरी का माहौल-
उक्त घटनाक्रम लगभग एक से 2 घंटे तक चलता रहा, जिससे नगर में अफरा-तफरी का माहौल बना रहा। प्रशासन और हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं के बीच बहस भी हुई। बजरंग दल प्रकोष्ठ के कालू सोनी ने बताया कि हनुमान जन्मोत्सव के चलते यह ध्वज लगाया गया है और ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां पर किसी को इसके लगाने से आपत्ति हो। फिर भी नगरपालिका के कर्मचारियों ने इसे निकालने का प्रयास किया, जिसका हम पुरजोर विरोध कर रहे हैं और जिस अधिकारी ने इसे हटाने के लिए कहां है हम उनके खिलाफ भी एक ज्ञापन देंगे। कुल मिलाकर भगवा ध्वज जिस पर हिंदू राष्ट्र लिखा हुआ था को लेकर नगर में काफी देर तक माहौल गरमाया रहा। अंत में हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने एक ज्ञापन तहसीलदार शैलेंद्र द्विवेदी एवं एसडीओपी मोहन सारवान को जिलाधीश के नाम सौंपा है, जिसमें अनुविभागीय अधिकारी को स्थानांतरित करने की बात कही गई है। साथ ही उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई करने की भी बात कही है। ज्ञापन में उन्होंने कहा है कि अनुविभागीय अधिकारी ने हिंदू समाज की भावनाओं को आहत किया है, जिससे नगर की शांति व्यवस्था भंग हो सकती थी। वहीं दूसरी ओर अनुविभागीय अधिकारी आनंद सिंह राजावत से बात की तो उन्होंने कहा कि मैं एक भूमि पूजन में शामिल होने खामखेड़ा में था, वहीं पर मेरे पास नगरपालिका के कर्मचारियों का फोन आया था। जिसको लेकर मैंने तहसीलदार को मामला देखने को कहा और घटनास्थल भेजा था। मुझे मामले की और इससे ज्यादा जानकारी नहीं थी की विवाद इतना तूल पकड़ लेगा।

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