सीहोर-आष्टा। हर साल की तरह इस साल भी सीहोेर जिलेभर में शनि जयंती परंपरानुसार मनाई गई। इस दौरान सीहोर शहर के सोया चौपाल के बडली स्थित शनि मंदिर पर शनि जयंती के पावन अवसर पर भगवान को कचौरी, इमरती, खीर, पूडी, उड़द के लड्डू का भोग लगाया गया। काला कपड़ा, उड़द काले, तेल, लोहा, छाता, काला कंबल, हनुमान चालीसा, शनि चालीसा, शनि स्तुति से भगवान का गुणगान किया गया। इधर आष्टा नगर सहित ग्रामीण अंचलों में भी शनि जयंती मनाई गई। इस दौरान जहां पूजा-अर्चना की गई तो वहीं भंडारेे का आयोजन भी किया गया।
सीहोर स्थित शनि मंदिर के पुजारी रामांदन महाराज ने बताया कि मंदिर में सुबह से श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हा़े गया था। सुबह पंचामृत से शनि देव को स्नान कराया गया। इसके बाद आठ बजे शनिदेव का अभिषेक किया गया। उसके बाद सुबह की आरती की गई। इसके बाद सुबह 11 बजे बाद महाअभिषेक किया गया। कचौरी, पकौड़ी, इमरती नुक्ती का प्रसाद बांटा गया। श्रद्धालुओं का सुबह से आना शुरू हा़े गया था। रात तक दर्शन किए और भगवान को तेल, तिल सहित अन्य चीजें चढ़ाई। श्री राधेश्याम बिहार कालोनी की ओर से यहां पर मौजूद पंडित जितेन्द्र तिवारी ने बताया कि आज से आठ-दस साल पहले तक शनि मंदिर तक पहुंचने का कच्चा मार्ग था और हर शनिवार सहित शनि जयंती पर आदि पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है और दिव्य अनुष्ठान करते हैं, उन्होंने बताया कि मंदिर के पुजारी ने बड़ी मेहनत से मंदिर का निर्माण यहां पर कराया है, रेत, ईट, सीमेंट आदि बडली पर लाने में बहुत दिक्कत के बाद आज मंदिर श्रद्धालुओं के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। इस मौके पर समाजसेवी सेवा यादव, राकेश शर्मा, राजू बोयत, डॉ. अशोक पिचोनिया सहित अन्य ने भी शनि मंदिर के बारे में जानकारी दी। पंडित श्री तिवारी ने बताया कि भगवान शनि के सम्मान में मनाया जाता है। हिन्दू धर्म और ज्योतिष में सूर्य देव के पुत्र भगवान शनि को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। शनि देव को न्याय का देवता माना गया है जो कर्म फल के दाता है अर्थात शनि देव हर मनुष्य को उसके अच्छे या बुरे कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। शनि जयंती को सूर्य पुत्र भगवान शनि के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, प्रतिवर्ष ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है। भगवान शनि सूर्य देव और छाया देवी के पुत्र है और यम व यमुना इनके भाई-बहन है। शनि जयंती पर भगवान शनि का पूजन करना कल्याणकारी होता है।
आष्टा में मंदिरों में रही भीड़-
शनि जयंती पर आष्टा के शनि मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ रही। नगर के खेड़ापति स्थित शनिदेव मंदिर पर सवेरे से ही भक्तों का आना शुरू हुआ, जो देर रात तक चलता रहा। मंदिर पर शिखर चढ़ाया गया, इसके पूर्व हवन, पूजन एवं शनिदेव का अभिषेक कर श्रृंगार किया गया। आरती और हवन के पश्चात भंडारे का आयोजन स्थानीय भक्तों की मंडली द्वारा रखा गया। इसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने प्रसादी ग्रहण की, वही बड़े बाजार स्थित शनि मंदिर में भी भक्त बड़ी संख्या में पहुंचे। यहां पर शनि देव के साथ भैरव जी एवं सूर्यदेव की आराधना भी की गईं। पपनास नदी स्थित शनि मंदिर में भी पूजा, आरती, हवन एवं भंडारे का आयोजन किया गया, वही मुगली स्थित शनि मंदिर में भी हवन पूजन हुआ। पुराना आष्टा स्थित नवग्रह शनिदेव मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। यहां पर भगवान का श्रृंगार किया गया उसके पश्चात ग्रामीणजनों ने भंडारे का आयोजन किया। इसमें बड़ी संख्या में दूरदराज से आए श्रद्धालुओं ने भोजन प्रसादी ग्रहण की। आष्टा खेड़ापति स्थित शनि मंदिर पर नगर पालिका विधायक प्रतिनिधि रायसिंह मेवाडा लगातार दो दिन से पार्षद मित्रों एवं गंज क्षेत्र के निष्ठावान कार्यकर्ताओं के साथ आयोजन में शामिल रहे, जिसमें पूर्व पार्षद सुभाष नामदेव की टीम के साथी जिन्होंने 2 दिन से लगातार शनिदेव उत्सव मनाने हेतु तन मन धन से सहयोग प्रदान किया। इस अवसर पर महेश सोनी, पार्षद रवि शर्मा, तेजसिंह राठौर, सुभाष नामदेव, पंकज राठी, सुमित मेहता, संजीव सोनी पांचम, लखन वर्मा, लखन पाटीदार, नीलेश खंडेलवाल, बसंत पाठक, पुजारी महेश गिरी, मनोज जैन सहित बड़ी संख्या में भक्तगण, श्रद्धालुजन मौजूद थे।