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गुरु की शरण व गोविंद के चरण इहलोक और परलोक दोनों से तार देते हैं: पं.मोहित रामजी

पंडित अजय पुरोहित द्वारा दी जाएगी गुरुदीक्षा

सीहोर। श्री माधव महाकाल आरोग्य आश्रम परिवार सीहोर में प्रारंभ हुए दो दिवसीय गुरुपूर्णिमा महोत्सव एवं सनातनी संस्कृति जागरण व गुरुदीक्षा समारोह के मौके पर रविवार को प्रथम दिवस आश्रम के सभी शिष्य भक्त, मंडल भक्तों द्वारा कलश यात्रा निकाली गई। इस दौरान सभी देवी-देवताओं का आव्हान कर गौमाता का पूजन कर भगवान सदाशिव का अभिषेक कर उत्सव प्रारंभ किया गया। गुरुदेव भगवान मंदिर जिणोर्द्वारक श्री-श्री 108 पंडित दुर्गाप्रसाद कटारे बाबा के आशीर्वाद से माधव महाकाल यादव का आश्रम कथा व्यास परम् भक्त क्रांतिकारी संत पंडित मोहिराम जी पाठक के सानिध्य में दो दिवसीय गुरु पूर्णिमा पर्व प्रारंभ हुआ। इसमें प्रथम कलश यात्रा गौ पूजन, भगवान शिव का अभिषेक, भगवान सत्यनारायण की कथा एवं रात्रि में भजन संध्या का आयोजन किया गया। इसमें कथा व्यास पंडित मोहितरामजी पाठक द्वारा आशीर्वाद वचन दिया गया। आशीर्वाद वचन में कथा व्यास से कहा कि जो गुरु की शरण ग्रहण कर लेता उसे गोविंद की प्राप्ति हो जाती है और जिसको गोविंद की प्राप्ति होगी उस पर गुरुकृपा सदैव बनी रहती है। गुरु पूर्णिमा पर बड़ी संख्या में भक्त मंडल, माता-बहनें आश्रम परिवार सम्मिलित हो रहे हैं। सोमवार को प्रातः 7 बजे से पूजन अभिषेक प्रारंभ होगा। 10 बजे से सनातनी गुरुदीक्षा होगी, जिसमें 1008 सनातनी बालक-बालिका माता, बहनें, भाइयों को दीक्षा दी जाएगी। इसके साथ गुरु पूर्णिमा पर्व प्रारंभ होकर निरंतर चलेगा। प्रसादी भोजन प्रातः 11 बजे से प्रारंभ होकर निरंतर चलती रहेगी। श्रीमाधव महाकाला आरोग्य आश्रम परिवार ने सभी भगवत प्रेमी सनातनी जन शिष्य मंडल से आश्रम पर पधारकर गुरु दर्शन, गुरु पूजन कर अपने जीवन को सार्थक बनाने की अपील की है।
पंडित अजय पुरोहित द्वारा दी जाएगी गुरुदीक्षा
हर साल की तरह इस साल भी कथा वाचक पंडित अजय पुरोहित द्वारा क्षेत्रवासियों सहित प्रदेश और देश के कोने-कोने से आने वाले अपने शिष्य और श्रद्धालुओं को गुरुदीक्षा प्रदान करेंगे। इस मौके पर पंडित श्री पुरोहित ने कहा कि गुरु पूर्णिमा का बहुत बड़ा महत्व है। यह दिन गुरुओं को समर्पित है। इस दिन गुरुओं की पूजा करने और उनका आशीर्वाद लेने से बहुत लाभ मिलता है। गुरु पूर्णिमा आषाढ़ पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। दरअसल, महर्षि वेद व्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा के दिन हुआ था और उन्हें दुनिया के पहले गुरु का दर्जा दिया गया है, इसीलिए महर्षि वेद व्यास के सम्मान में आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। इस मौके पर सुबह ग्यारह बजे गुरु पूजन का कार्यक्रम उनके निवास पर किया जाएगा और भोजन प्रसादी का वितरण भी किया जाएगा।

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