Sehore News : कलयुग में भागवत की कथा सुनने मात्र से हर प्राणी को मोक्ष की प्राप्ति होती : पंडित अजय पुरोहित
सर्व ब्राह्मण के तत्वाधान में जारी सात दिवसीय भागवत कथा
सीहोर। कलयुग में भागवत की कथा सुनने मात्र से हर प्राणी को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी जन्मों के पापों का नाश होता है। भजनों के माध्यम से उन्होंने धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की महत्ता पर प्रकाश डाला। 24 लाख की योनियों में भटकने के पश्चात मानव शरीर की प्राप्ति होती है। जब-जब अत्याचार और अन्याय बढ़ता है तब तक प्रभु का अवतार होता है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। भागवत कथा एक ऐसी कथा है जिसे ग्रहण करने मात्र से ही मन को शांति मिलती है। भागवत कथा सुनने से अहंकार का नाश होता है। उक्त विचार शहर के खजांची लाइन स्थित ब्राह्मण धर्मशाला में सर्व ब्राह्मण के तत्वाधान में जारी सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन पंडित अजय पुरोहित ने कहे।
श्रीमद भगवत कथा के प्रसंग मे आत्मदेव ब्राह्मण की कथा का वर्णन किया गया। जिसमें उन्होनें बताया कि तुम तुंगभद्रा नदी के तट पर रहने वाले ब्राह्मण आत्मदेव बड़े ज्ञानी थे। उनकी पत्नी धंधुली कुलीन और सुन्दर थी लेकिन अपनी बात मनवाने वाली झगड़ालू थी धन वैभव से संपन्न आत्मदेव को कोई संतान नही होने का दुख था। अवस्था ढल जाने पर संतान के लिये वह दान करने लगे लेकिन कोई लाभ नही हुआ तो प्राण त्याग के लिये वन चले गये। जब अपने जीवन का अंत करने जा रहे थे तो एक रास्तें में संत महात्मा मिले संत के पूछने पर उन्होने संतान के बिना जीवन सूना-सूना लगने की बात कही गई तथा बताय कि मन बहाने के लिये एक गाय रखी थी सोचा था कि बछड़े होगें उनके साथ अपना मन बहला लूँगा। लेकिन वह भी बांझ निकली। संतान की इच्छा के हट करने पर महात्मा द्वारा आत्मदेव को एक फल दिया गया। आत्मदेव की पत्नी धंधुली ने संदेह की वजह से फल स्वयं नही खाया बहन जो गर्भवती थी जब घर आई तो उसने पूरी बात बताई जिस पर बहन ने कहा कि मेरे पेट में जो बच्चा है वह तुम ले लेना फल गाय को खिला दो। आत्मदेव की पत्नी ने फल गाय को खिला दिया कुछ समय बाद गाय ने एक बच्चे को जन्म दिया। जिसका शरीर पूरा मनुष्य का था जिसका का नाम गोकर्ण रखा गया। धंधुली की बहन ने जिस बच्चे को जन्म दिया उसका नाम धुंधकारी रखा गया। गोकर्ण ज्ञानी और धर्ममात्मा हुआ और धुधंकारी दुराचारी, व्याभीचारी मदिराचारी और दुरात्मा निकला। व्यसन में पडकऱ चोरी करने लगा और उसकी हत्या हो गई। बाद में वह प्रेत बना जिसकी मुक्ति के लिये गोकर्ण महाराज ने भागवत कथा का आयोजन किया। श्रीमद भागवत कथा के श्रवण करने से धुंधकारी को प्रेत योनी से मुक्ति मिली। इस संबंध में जानकारी देते हुए महिला मंडल की अध्यक्ष नीलम शर्मा ने बताया कि शहर के खजांची लाइन ब्राह्मण धर्मशाला में कथा का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने सभी क्षेत्रवासियों से कथा का श्रवण करने की अपील की है। उन्होंने बताया कि अधिकमास के माह की तीज होने के कारण गुरुवार को सभी महिलाएं ग्रीन कलर के वस्त्र धारण कर आए।