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500 करोड़ का घोटाला, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस और एलएम बेलवाल पर एफआईआर की मांग

- कांग्रेस नेता एवं राज्यसभा सांसद विवेक तंखा ने लगाया आरोप, 500 करोड़ रुपए के पोषण आहार घोटाले में कांग्रेस ने लोकायुक्त में की शिकायत

भोपाल। प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया सीएस इकबाल सिंह बैंस एवं आजीविका मिशन के सीईओ एलएम बेलवाल पर कांग्रेस ने लोकायुक्त में शिकायत दर्ज कराते हुए उन पर एफआईआर दर्ज कराने की मांग की है। कांग्रेस ने आरोेप लगाया है कि पोषण आहार में 500 करोड़ रूपए का घोटाला हुआ है, जिसके जिम्मेदारी ये हैं। कांग्रेस नेता राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा एवं नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने संयुक्त पत्रकारवार्ता में यह आरोप लगाते हुए अपनी बात कही है।
राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा कि मध्यप्रदेश के इतिहास में एक बहुत ही दुखद प्रसंग हुआ है। कभी ऐसा वक्त नहीं आया कि चीफ सेक्रेटरी के बारे में हम लोगों को या किसी को भी इस प्रकार से लोकायुक्त के आफिस जाकर लिखित में शिकायत दर्ज करानी पड़ी हो। हमारे शिकायतकर्ता पारस सकलेचा ने आरोप लगाया है कि मध्यप्रदेश में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट में भी मध्यप्रदेश के आठ जिलों में करीब 500 करोड रुपए का पोषण आहार घोटाला होने की बात सामने आई थी। इस विषय में संदेह के घेरे में मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के सीईओ ललित मोहन बेलवाल हैं। हमने लोकायुक्त से इन दोनों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।
कमलनाथ सरकार ने बदली थी व्यवस्था-
राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा कि इकबाल सिंह बैंस 2014 में मुख्यमंत्री के सचिव बने और 2017 के बाद उन्होंने एलएम बेलवाल को अपना सीईओ बनाकर एग्रो कारपोरेशन के अंतर्गत 7 फैक्ट्रियां काम करती थी उनको रूरल डेवलपमेंट के दूसरे डिपार्टमेंट के अंतर्गत ट्रांसफर कराया। यह व्यवस्था 2018 तक चलती रही। 2018 में एलएम बेलवाल रिटायर हो गए और दिसंबर में सरकार बदल गई। कमलनाथजी की सरकार बनी और उनको जब इस करप्शन की जानकारी मिली तो उन्होंने अपने कार्यकाल में इन सातों फैक्ट्री को वापस एमपी एग्रो को ट्रांसफर किया, जहां से यह काम वर्षों से होता आ रहा था। श्री तन्खा ने कहा कि मार्च 2020 में कमलनाथ सरकार चली गई और शिवराज सरकार आ गई। एक दिन बाद इकबाल सिंह बैंस चीफ़ सेक्रेटरी बन जाते हैं। कुछ दिन बाद एलएम बेलवाल कांट्रैक्ट पर वापस आ जाते हैं और कुछ दिन बाद वह सात फैक्टरीज भी रूरल डेवलपमेंट में वापस आ जाती है।
राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा कि मध्यप्रदेश अकाउंटेंट जनरल की रिपोर्ट आई। उस रिपोर्ट के सारांश हमने लोकायुक्त के सामने रखे हैं। उसमें राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में 500 करोड़ का फ़ेक प्रोडक्शन, फ़ेक डिस्ट्रीब्यूशन और फेक परिवहन किया गया। स्कूटर और टेंपो और कार के नंबर से राशन का परिवहन किया गया। अकाउंटेंट जनरल ने सैंपल आधार पर यह जांच की थी और कहा था कि इस मामले की स्वतंत्र निकाय से जांच करवाना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। लेकिन राज्य सरकार ने इस संबंध में किसी प्रकार की जांच करवाने के लिए कोई पहल नहीं की। विवेक तन्खा ने कहा जिस आदमी के कार्यकाल में 500 करोड़ का घोटाला अकाउंटेंट जनरल ने उजागर किया है उस आदमी को मुख्य सचिव क्यों संरक्षण दे रहे हैं? उन्होंने कहा कि मामले की स्वतंत्र जांच के लिए इन दोनों अधिकारियों को उनके पद से तत्काल हटाया जाना अत्यंत आवश्यक है। लोकायुक्त में की गई शिकायत में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, तत्कालीन सीईओ एलएम बेलवाल और अन्य संवैधानिक, शासकीय और निजी क्षेत्र के लाभार्थियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है, जो इस बड़े पैमाने पर किए गए भ्रष्टाचार में शामिल थे। उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट आदेश हैं कि इस तरह के मामले में एफआईआर दर्ज होनी चाहिए और सभी संबंधित दस्तावेज जब्त करके तत्काल जांच शुरू कराई जानी चाहिए। श्री तन्खा ने कोर्ट जाने के सवाल पर कहा कि सब कुछ करेंगे, मगर अपने समय से करेंगे, यह मामला भारत के लोकतंत्र और मप्र के लोकायुक्त संगठन की स्वतंत्रता की परीक्षा का है, वे जो करेंगे न्यायोचित करेंगे। हमने लोकायुक्त में शिकायत की है और लोकायुक्त को इस मामले को देखना है।
मध्यप्रदेश में बह रही भ्रष्टाचार की गंगा: डा. गोविंद सिंह
नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश के समस्त भ्रष्टाचार को मुख्यमंत्री का सीधा संरक्षण प्राप्त है। मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार की गंगा, राजधानी भोपाल के श्यामला हिल्स से निकल रही है और वहीं से गंदगी है तो नीचे की सफाई नहीं हो सकती। हमने विधानसभा में भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर ध्यानाकर्षण लगाया, स्थगन पर चर्चा की, अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से बात करने की कोशिश की, लेकिन अध्यक्ष से सांठ-गांठ कर अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष से पहले मुख्यमंत्री ने अपना वक्तव्य पढ़कर हल्ला-गुल्ला कर सत्र समाप्त करा दिया। भाजपा सरकार जब-जब भ्रष्टाचार में फंसती है, हल्ला-गुल्ला कर विपक्ष की आवाज को दबा देती है, हमेशा उसका यही रवैया रहता है।

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