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Sehore News : स्कूल बसों में न तो कैमरे, न ही जीपीएस सिस्टम और न ही कोई महिला स्टाफ, कैसे सुरक्षित रहे बच्चे?

- बच्चों की सुरक्षा को लेकर हर तरफ लापरवाही, आरटीओ कुंभकरणी नींद में, शिक्षा विभाग ने जांच करके पूरी की जिम्मेदारी

सुमित शर्मा, सीहोर
यदि आप अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं तो इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी आपको ही उठानी होगी। भले ही आप अपने बच्चों को स्कूल लाने ले जाने के लिए स्कूलों में बसों एवं वाहनों की मोटी फीस दे रहे हों, लेकिन इन स्कूलों से सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि स्कूलों में लगी ज्यादातर बसों में न तो सीसीटीव्ही कैमरे हैं, न ही जीपीएस सिस्टम लगा हुआ है और न ही इन बसों में कोई महिला स्टॉफ की तैनाती है। इतना ही नहीं ज्यादातर स्कूलों में लगी बसें भी अनफिट हैं, क्योंकि यहां पर आरटीओ को भारी भरकम पैसा देकर सब कुछ ’ठीकठाक’ करा लिया जाता है। ऐसी स्थिति में आप स्कूलों से अपने बच्चों की सुरक्षा की गारंटी कैसे ले सकते हैं।

कई बार दिए निर्देश, लेकिन हर तरफ मनमानी का आलम-
सीहोर जिले के निजी स्कूलों में पहले भी कई बार लापरवाहियां सामने आईं। निजी स्कूलों में लगी बसों एवं वाहनों की भी बार-बार शिकायतें की गई। कई बार निर्देश भी दिए गए, लेकिन हर बार यहां पर सिर्फ और सिर्फ मनमानी का आलम ही नजर आया। यही कारण है कि हर बार घटना होने के बाद सख्ती दिखाई जाती है और उसके बाद सब कुछ जस का तस चलने लगता है। गौरतलब है कि पिछले दिनों सीहोर जिले के भैरूंदा में संचालित वीणांचल गर्ल्स स्कूल के ड्राइवर ने 4 वर्षीय मासूम के साथ छेड़छाड़ की घटना को अंजाम दिया था। ऐसी ही एक घटना सीहोर में भी सामने आई थी। वीणांचल स्कूल की छात्रा के साथ हुई घटना की उसने जब अपने परिजनों को जानकारी दी तो उन्होंने इस मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने भी तत्परता दिखाते हुए आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया। लेकिन इन दोनों घटनाओं के बाद एक बार फिर से निजी स्कूलों में लगी बसों एवं अन्य वाहनों की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगे हैं।

सरपट दौड़ लगा रहे हैं अनफिट वाहन-
इस मामले में जब जानकारी जुटाई गई तो सामने आया कि ज्यादातर बसों में न तो जीपीएस सिस्टम लगे हैं और न ही सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। किसी भी स्कूल बस में महिला स्टॉफ की तैनाती भी नहीं है। बसें भी अनफिट हैं और सरपट सड़कों पर दौड़ रही हैं। इन बसों से हर दिन हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं अपने घरों से स्कूल तक जाना-जाना करते हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा के कोई भी उपाय इन स्कूल बसों में नजर नहीं आए। घटना के बाद भी सीहोर जिले का आरटीओ कुंभकरणी नींद से नहीं जागा। आरटीओ द्वारा न तो वाहनों की चैकिंग की जाती है और न ही वाहनों पर कार्रवाई की जा रही है। यही कारण है कि अनफिट वाहन भी सरपट दौड़ रहे हैं।

आरटीओ बेपरवाह, शिक्षा विभाग ने पूरी की जिम्मेदारी-
सीहोर जिलेभर में करीब 750 निजी स्कूल संचालित हो रहे हैं। ये सभी निजी स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित हो रहे हैं। इन्हें संचालित करने की अनुमतियां शिक्षा विभाग से ही मिलती है, लेकिन इन स्कूलों में चलने वाले वाहन, बसों का जिम्मा आरटीओ का होता है। आरटीओ द्वारा ही इन बसों के संचालन की अनुमति, इन्हें फिटनेस देने सहित अन्य जिम्मेदारियां आरटीओ की होती है, लेकिन इस बार घटना होने के बाद भी आरटीओ अब तक बेपरवाह बना हुआ है। आरटीओ द्वारा न तो अब तक स्कूलों बसों की जांच शुरू की गई है और न ही इन बसों को लेकर कोई दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। हालांकि शिक्षा विभाग ने जांच कराकरा अपनी जिम्मेदारी निभा दी है, लेकिन अब तक ऐसी कोई सख्त कार्रवाई सामने नहीं आई है, जिससे इन निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगे।

तीन दिन का दिया समय, उसके बाद लगेगा जुर्माना-
सीहोर जिले के भैरूंदा में हुई स्कूल वाहन में छेड़खानी की घटना के बाद भैरूंदा एसडीएम, एसडीओपी, थाना प्रभारी सहित शासकीय स्कूल के प्राचार्य, निजी स्कूलों के संचालकों की एक बैठक भी हुई है। इस बैठक में सभी निजी स्कूलों के संचालकों को निर्देश देते हुए तीन दिन का समय दिया गया है कि वे अपने स्कूलों में लगी बसों एवं अन्य वाहनों को नियमों के तहत दुरूस्त करें। बसों में सीसीटीवी कैमरे, जीपीएस सिस्टम लगाएं, बस में महिला कंडक्टर रखें या महिला स्टॉफ को साथ भेजें या फिर कोई महिला को नियुक्त करें। तीन दिन के बाद भी यदि निर्देशों का पालन नहीं हुआ तो हर दिन पांच-पांच हजार रूपए का जुर्माना ठोका जाएगा।

इनका कहना है-
सीहोर जिले के निजी स्कलों में हुई घटना की जांच कराई गई है। जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
– संजय सिंह तोमर, जिला शिक्षा अधिकारी, सीहोर

निजी स्कूलों में संचालित बसों एवं अन्य वाहनों पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।
– रीतेश तिवारी, जिला परिवहन अधिकारी, सीहोर

निजी स्कूलों में चल रही बसों एवं अन्य वाहनों को लेकर सभी निजी स्कूल संचालकों से कहा गया है कि वे अपने स्कूल की गाड़ियों को सरकारी नियमों के तहत अपडेट रखें। जब तक सभी बच्चे स्कूल से नहीं चले जाएं, तब तक कोई भी प्रिंसीपल स्कूल नहीं छोड़ें। यदि भविष्य में इस तरह की घटना यदि किसी भी स्कूल में घटित होगी तो उसकी जिम्मेदारी स्कूल संचालक की होगी और संघ द्वारा उसकी कोई मदद भी नहीं की जाएगी।
– हेमेंद्र तोमर, जिलाध्यक्ष, प्राईवेट स्कूल संचालक संघ, सीहोर

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