हेल्थ एजेंसियां की कोरोना सेल्फ किट बनी सिरदर्द, डेटा रखने में नाकाम
भोपाल
कोरोना के सेकंड वेव के दौरान नए वैरियंट का पता लगाने में रैपिड एवं आरटीपीसार जैसे टेस्ट नाकाफी साबित हुए थे। उसकी पुष्टि अब कोरोना की सेल्फ किट से हो पाएगी यह समझ से परे है।
बावजूद इसके राजधानी में कोरोना सेल्फ किट के इस्तेमाल पर रोक लगने के बजाय अब स्वास्थ्य विभाग ने नयाब फॉर्मूला निजात किया गया है, जिसमें कोरोना सेल्फ किट का विक्रय करने वाले मेडिकल स्टोर संचालक अब यूजर का डेटाबेस रखेंगे। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जो डेटाबेस सरकारी एजेंसियां रखने में नाकाम साबित हो रही हैं उनका डेटाबेस अब मेडिकल स्टोर संचलाक कैसे रख पाएंगे। साथ ही इस किट के इस्तेमाल से साइड इफेक्ट होने पर जिम्मेदार कौन होगा इस पर सिस्टम मौन है।
ये बन रहे सुपर स्प्रेडर
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक शहर में सेल्फ किट से कोरोना की रोजाना 100 से अधिक जांचें हो रही हैं, लेकिन इनका डेटाबेस किसी के पास मेंटेन नहीं है। इसके चलते कॉटेक्ट में आए लोगों की टेÑसिंग हो पा रही है। जिसका नतीजा ये शासन की नजरों में धूल झोंक कर शहर में सुपर स्पे्रडर बन रहे हैं।
तीन इलाकों में ही 1000 ज्यादा एक्टिव केस
भोपाल शहर में कोरोना के जो केस एक्टिव हैं उनमें से तीन हॉट स्पॉट इलाकों में ही 1000 के पार एक्टिव केस हैं। इनमें से कोलार में 2643, गोविंदपुरा में 1856 और बैरसिया में 1329 कोरोना पॉजिटिव केस एक्टिव हैं। हालांकि इसके अलावा अन्य इलाकों में भी कोरोना के एक्टिव है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार पिछले 24 घंटे में 1710 मरीज मिले हैं इसके साथ ही अब एक्टिव केस बढ़कर 8934 हो गए हैं। शहर में पांच जनवरी को जहां पॉजिटिविटी रेट 2.6 फीसदी था वहीं अब बढ़कर 23.45 फीसदी हो गया।