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सत्तू अमावस्या पर मां नर्मदा में लगाई डुबकी, फिर मंदिर में प्रसादी चढ़ाकर खाया सत्तू

सीहोर। वैशाख मास की अमावस्या को सत्तू अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। यूं तो प्रत्येक माह को पड़ने वाली अमावस्या पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त नर्मदा घाटों पर पहुंचकर स्नान करते हैं, लेकिन वैशाख मास की सत्तू अमावस्या का विशेष महत्व होता है। बुधवार को भी सत्तू अमावस्या पर सीहोर जिले के प्रसिद्ध नर्मदा तट आंवलीघाट, नीलकंठ, छीपानेर, बाबरी, बुधनी, मंडी सहित कई अन्य घाटों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त नर्मदा स्नान करने पहुंचे। इसके बाद उन्होंने सत्तू भगवान को मंदिर में चढ़ाया, दान किया और इसके बाद सत्तू खाकर अमावस्या का पर्व मनाया।
नर्मदा घाटों पर किए विशेष इंतजाम –
सत्तू अमावस्या के दिन बड़ी संख्या में लोग स्नान करने के लिए नर्मदा घाटों पर पहुंचते हैं। इसको लेकर जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन द्वारा भी सुरक्षा की दुष्टि से व्यवस्थाएं की गईं। इस दौरान आंवलीघाट, नीलकंठ, छीपानेर सहित अन्य घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। श्रद्धालुओं ने अलसुबह से ही नर्मदा घाटों पर पहुंचकर स्नान किया एवं पूजा-अर्चना करके सत्तू का दान भी दिया। महिलाएं भी सुबह से स्नान करके मंदिरों में पहुंची। यहां पर पूजा-अर्चना के बाद भगवान को सत्तू अर्पित किया। इसके बाद घरों में आकर सत्तू खाया।
इसलिए है सत्तू अमावस्या की मान्यता –
हिंदू मान्यता के अनुसार वैशाख मास की अमावस्या को सत्तू या सतुवाई अमावस्या के नाम से जाना जाता है। सत्तू अमावस्या पर नर्मदा स्नान सहित तीर्थों पर स्नान-दान, पूजन और पितरों की पूजा के बाद सत्तू दान करने की विशेष परंपरा है। सनातन परंपरा में इस दिन न सिर्फ सत्तू के दान बल्कि सत्तू के सेवन का शुभ फल बताया गया है। सत्तू अमावस्या का न सिर्फ धार्मिक बल्कि ज्योतिष महत्व भी है। ज्योतिष की दृष्टि से पितृदोष और कालसर्प दोष दूर करने वाली शांति पूजा के लिए सत्तू अमावस्या को बेहद शुभ माना गया है।
सत्तू अमावस्या का दान –
हिंदू धर्म में मान्यता है कि सत्तू अमावस्या पर यदि किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दोपहर के समय में चावल से बना सत्तू अथवा सामान्य सत्तू का दान किया जाए तो पुण्यफल की प्राप्ति होती है। इसी प्रकार सत्तू अमावस्या पर जरूरतमंदों को जल एवं अन्न का दान भी अत्यंत ही शुभ माना गया है।
सत्तू अमावस्या की पूजा का उपाय –
हिंदू धर्म में सत्तू अमावस्या तिथि के दिन पूजा के विशेष उपाय बताए गए हैं, जिसे करने से न सिर्फ संबंधित देवी-देवता, बल्कि ग्रह विशेष का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सत्तू अमावस्या का पुण्यफल पाने के लिए यदि संभव हो तो पूजा-पाठ करने के साथ व्रत भी रखना चाहिए। सत्तू अमावस्या के दिन भगवान श्री विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए उं नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का अधिक से अधिक जप करना चाहिए। इस दिन शुभ फल की प्राप्ति के लिए पीपल के पेड़ पर पानी में कच्चा दूध और तिल मिलाकर चढ़ाना चाहिए। अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीया जलाना चाहिए। सत्तू अमावस्या पर गंगा स्नान को बहुत ज्यादा पुण्यदायी माना गया है, इसलिए यदि संभव हो तो इस दिन गंगा तट पर जाकर विशेष रूप से स्नान करना चाहिए। यदि आप गंगातट पर न जा पाएं तो अपने घर में नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करके इस पुण्य लाभ पा सकते हैं। कुंडली में स्थित कालसर्प दोष और उसके कारण होने वाले कष्टों से मुक्ति पाने के लिए सत्तू अमावस्या के दिन स्नान-ध्यान करने के बाद चांदी से बने नाग-नागिन को बहते हुए पानी में प्रवाहित करना चाहिए। मान्यता है कि इस उपाय को करने पर कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।

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