धर्म

3 शुभ योग में मनाई जाएगी देवउठनी एकादशी

देवउठनी एकादशी कार्तिक शुक्‍ल पक्ष दिन मंगलवार, दिनांक 12 नवंबर को है। इस देवउठनी एकादशी के दिन ही भगवान विष्‍णु 4 महीने की योगनिद्रा के बाद जागते हैं। इस साल ये दोनों एकादशी व्रत साथ रखे जाएंगे। देवउठनी एकादशी 12 नवंबर 24, दिन मंगलवार को है और इस एकादशी व्रत का पारण भी इसी दिन शाम को होगा। बालाजी ज्योतिष अनुसंधान एवं परामर्श केंद्र के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ गणेश शर्मा ने बताया कि इस एकादशी पर दान करें। रमा एकादशी के दिन अन्‍न दान करें, जरूरतमंदों को भोजन कराएं। ऐसा करने से भगवान विष्‍णु और मां लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होते हैं। रमा एकादशी के दिन पीले फलों जैसे केले का दान करें। यह ठंड के मौसम की शुरुआत का समय होता है, लिहाजा गरीबों को गरम कपड़े दान करें। गरीब बच्‍चों को शिक्षण सामग्री का दान करें। इससे श्रीहरि-लक्ष्‍मी के साथ सरस्‍वती माता भी प्रसन्‍न होती हैं और करियर में सफलता मिलती है। कार्तिक मास में गाय की सेवा करें, उसे चारा खिलाएं। बुजुर्गों का आशीर्वाद लें, उनकी सेवा करें। इससे जीवन की समस्‍याएं दूर होती हैं। हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। यह पर्व भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु चार माह की योगनिद्रा के बाद जागृत होते हैं।

इस शुभ अवसर पर भगवान विष्णु की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। इसके अगले दिन तुलसी विवाह मनाया जाता है। देवउठनी एकादशी तिथि से सभी प्रकार के मांगलिक कार्य किए जाते हैं। धार्मिक मत है कि भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। ज्योतिषियों की मानें तो देवउठनी एकादशी पर कई मंगलकारी शुभ योग बन रहे हैं। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी।
ये हैं शुभ मुहूर्त – 
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 12 नवंबर को है। एकादशी तिथि 11 नवंबर को संध्याकाल 6 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी और 12 नवंबर को संध्याकाल 4 बजकर 4 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। अतः 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी। साधक 12 नवंबर के दिन एकादशी का व्रत रख लक्ष्मी नारायण जी की पूजा कर सकते हैं। वहीं, एकादशी व्रत का पारण 13 नवंबर को सुबह 6 बजकर 42 मिनट से लेकर 8 बजकर 51 मिनट के मध्य पारण कर सकते हैं।
हर्षण योग – 
ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को हर्षण योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन संध्याकाल 7 बजकर 10 मिनट पर होगा। हर्षण योग बेहद शुभकारी माना जाता है। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है।
शिववास योग – 
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को संध्याकाल में शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग संध्याकाल 4 बजकर 5 मिनट से बन रहा है। इस योग में भगवान शिव कैलाश पर विराजमान रहेंगे। शिववास योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी।
नक्षत्र और करण – 
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी देवउठनी एकादशी को उत्तर भाद्रपद नक्षत्र का संयोग बन रहा है। साथ ही बव करण का भी निर्माण हो रहा है। ज्योतिष दोनों योग को शुभ मानते हैं। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी। साथ ही जीवन में व्याप्त दुखों का नाश होगा।

पंडित सौरभ गणेश शर्मा, ज्योतिषाचार्य, बालाजी ज्योतिष अनुसंधान एवं परामर्श केंद्र शास्त्री कॉलोनी स्टेशन रोड सीहोर, संपर्क 9229112381

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