Newsआष्टाइछावरजावरनसरुल्लागंजबुदनीमध्य प्रदेशरेहटीविशेषसीहोर

यदि नरवाई जलाई तो देना पड़ेगा तगड़ा जुर्माना, कार्रवाई भी होगी

- सीहोर जिला कलेक्टर ने किए आदेश जारी

सीहोर। जिला सीहोर की राजस्व सीमा में यदि किसी ने भी गेहूं की नरवाई जलाई तो उस पर तगड़ा जुर्माना ठोका जाएगा। इसके साथ ही दंडात्मक कार्रवाई भी होगी। इसको लेकर जिला कलेक्टर बालागुरू के ने आदेश भी जारी किया है। दरअसल जिला सीहोर के राजस्व सीमा में रबी मौसम की फसल (गेहूं, चना, मसूर) की कटाई के बाद किसानों द्वारा अपनी सुविधा के लिए खेत में आग लगाकर गेहूं की नरवाई एवं चना, मंसूर के डंठलों को नष्ट कर खेत साफ किया जाता है, जिससे आग लगाने से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है एवं पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इसे नरवाई में आग लगाने की प्रथा के नाम से भी जाना जाता है। जिला दंडाधिकारी एवं कलेक्टर बालागुरु के. ने नरवाई में आग लगने से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन, पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने एवं जनहित को दृष्गित रखते हुए नरवाई में आग लगाने पर प्रतिबंध लगाया है। कलेक्टर बालागुरु के. ने आदेश जारी किया है, जिसमें नरवाई में आग लगाना कृषि के लिए नुकसान दायक होने के साथ ही पर्यावरण की दृष्टि से भी हानिकारक बताया है। इसके कारण विगत वर्षों में गंभीर अग्नि दुर्घटनाएं भी घटित हुई हैं तथा व्यापक संपत्ति की हानि हुई है। बढ़ते जल संकट में इससे बढ़ोत्री तो होती है साथ ही कानून, व्यवसाथा के लिए भी विपरीत स्थितियां निर्मित होती है। नरवाई जलाने से प्रथम दृष्टया नुकसान होने से जनहित में इस पर रोक लगाई जाना आवश्यक है। जिला कलेक्टर बालागुरु के. ने आदेश जारी करते हुए निर्देश दिए हैं कि खेत की आग के अनियंत्रित होने पर जनसंपत्ति व प्राकृतिक वनस्पति, जीवजंतु आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे व्यापक नुकसान होता है। खेत की मिट्टी में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले लाभकारी सूक्ष्म जीवाणु इससे नष्ट होते हैं, जिससे खेत की उर्वरा शक्ति शनैः-शनैः घट रही है और उत्पादन प्रभावित हो रहा है। खेत में पड़ा कचरा, भूसा, डंठल सड़ने के बाद भूमि को प्राकृतिक रूप से उपजाऊ बनाते हैं, इन्हें जलाकर नष्ट करना उर्जा को नष्ट करना है। आग लगाने से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जिससे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इन परिस्थितियों में जन सामान्य के हित, सार्वजनिक सम्पत्ति, पर्यावरण एवं लोक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए जिले की भौगोलिक सीमा में खेत में खड़े गेहूं, चना, मंसूर के डंठलों (नरवाई) में आग लगाई जाने पर प्रतिबंध किया जाता है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के अंतर्गत आदेश जारी करते हुए इसे तत्काल प्रभाव से प्रभावशील रहेगा।
2500 से 15 हजार रूपए प्रति घटना देना होगा जुर्माना-
राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेशानुसार किसी भी व्यक्ति अथवा संस्था से उपरोक्त छोटे भूमि मालिक जिनकी भूमि का क्षेत्र 2 एकड़ से कम है, पर्यावरणीय मुआवजे के रूप में 2500 रूपए प्रति घटना देना होंगे। छोटे भूमि मालिक जिनकी भूमि का क्षेत्र 2 एकड़ से अधिक व 5 एकड़ से कम है, को पर्यावरणीय मुआवजे के रूप में 5000 रूपए प्रति घटना देना होंगे। छोटे भूमि मालिक जिनकी भूमि का क्षेत्र 5 एकड़ से अधिक है, को पर्यावरणीय मुआवजे के रूप में 15000 प्रति घटना देना होंगे। इसके अलावा दंडात्मक कार्रवाई भी की जाएगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Vyhľadajte chytrého mačku medzi sovami rýchlo: Fantastická Varovanie: Navštíviť kostol na cirkevný sviatok 29. Rýchly test na zistenie mimozemšťana na svadbe: 9 Hľadanie osoby: komplexná optická ilúzia, ktorú musíte spozať do