वन विभाग द्वारा लगाए गए केस में सीहोर के तीन पत्रकार दोषमुक्त, 9 साल बाद मिला न्याय

सीहोर। जिले के तीन पत्रकारों को प्रथम श्रेणी अपर सत्र न्यायाधीश ने वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा लगाए गए एक मामले में 9 साल बाद दोषमुक्त कर दिया है। पत्रकारों ने वन मंडल सीहोर के वन परिक्षेत्र, इछावर, लाड़कुई सहित अनेक रेंज में बेशकीमती सागौन के पेड़ों की अवैध कटाई, वन भूमि पर अवैध अतिक्रमण, अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा वन माफिया को संरक्षण देने सहित कई अन्य शिकायतें भोपाल में वरिष्ठ अधिकारियों की थीं। इसके बाद भोपाल से एक जांच दल गठित कर 2 फरवरी 2016 को भेजकर इसकी जांच कराई गई। जांच दल ने पत्रकारों की मौजूदगी में जब अवैध वनों की कटाई की जांच की तो वह सही पाई गई। इस पर वन विभाग के अधिकारियों ने खुद को बचाने के लिए पहले तो पत्रकारों को मैनेज करने की कोशिश की। बाद में वन विभाग सीहोर के जिम्मेदारों ने पत्रकारों के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा, अड़ीबाजी, मारपीट का केस नसरुल्लागंज थाने में 30070/2016 दर्ज करा दिया। इस मामले में प्रथम श्रेणी न्यायाधीश सुनीता गोयल ने 26 अगस्त 22 को तीनों पत्रकारों को दोषमुक्त कर दिया था, जिस पर वन परिक्षेत्र लाड़कुई एवं वन विभाग भोपाल के अधिकारियों ने प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश के यहां अपील की। वन विभाग द्वारा की गई अपील की सुनवाई लगातार चली। इस दौरान भैरूंदा अपर सत्र न्यायाधीश उषा तिवारी ने फैसले के समय दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलों को सुना। दलीलें सुनने के बाद उन्होंने पत्रकारों पर वन विभाग द्वारा दर्ज कराए गए मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि अपीलकर्ता द्वारा ऐसा कोई साक्ष्य नहीं प्रस्तुत किया गया, जिससे अपील की सुनवाई हो एवं कोई अपराध सिद्ध होता हो। उन्होंने तीनों पत्रकार चंदर सिंह बागवान, नितिन मालपानी और लखन मालवीय को निर्दोष करार देते हुए दोषमुक्त कर दिया और इस मामले में लगाई गई अपील को खारिज कर दिया। पत्रकारों की तरफ से एडवोकेट दुर्गा प्रसाद तिवारी ने केस की पैरवी की।