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‘नशे’ की गिरफ्त में ‘सीहोर’, अब पुलिस करेगी जागरूक, चलेगा ‘नशे से दूरी है जरूरी’ अभियान

सुमित शर्मा, सीहोर
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नशा ही नशा है… जी हां सीहोर जिले की अमूमन यही स्थिति है। सीहोर जिला मुख्यालय से लेकर जिले के दूर-दराज तक बसे गांवों में नशे का सामान आसानी से उपलब्ध हो जाता है। चाहे यह नशा देशी-विदेशी शराब का हो, गांजे का हो, महुआ शराब का हो, अफीम, डोडा या अन्य किसी सामग्री का हो। हर जगह बेहद आसानी से उपलब्ध हो जाता है। यह भी सर्व व्याप्त है कि इस नशे के सामान से ही सरकार की अर्थव्यवस्था भी चल रही है। सरकार ने मुख्य मार्गों से लेकर गांव-गांव तक में शराब की दुकानें खोल दी हैं। इन दुकानों पर सुबह से लेकर देर रात तक लोगों की भीड़ भी जमा रहती है, लेकिन अब इस नशे से निजात दिलाने के लिए पुलिस पहल कर रही है। प्रदेशभर सहित सीहोर जिले में नशे से मुक्ति एवं जनजागरूकता फैलाने के लिए पुलिस द्वारा ‘नशे से दूरी है जरूरी’ अभियान चलाया जाएगा। इससे पहले जिला प्रशासन ने भी नशामुक्ति को लेकर अभियान चलाया था और जनजागरूकता रैली भी निकाली थी। अब पुलिस का भी अभियान चलेगा, लेकिन पुलिस को अपनी शक्ति और सख्ती दोनों यहां पर दिखानी होगी।
इस नशे के कारोबार से जुडेÞ लोग तो दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की कर रहे हैं। लाखों-करोड़ों की कमाई कर रहे हैं, लेकिन इस नशे की गिरफ्त में आ चुके युवा, पुरूष बर्बाद हो रहे हैं। महिलाएं भी धीरे-धीरे इसकी गिरफ्त में आ रही हैं। देश का भविष्य यानी हमारे युवा तेजी से नशे के चंगुल में फंसते जा रहे हैं। नशे की गिरफ्त में बचपन पूरी तरह से बर्बाद हो रहा है। नशे का सामान भी हर जगह आसानी से उपलब्ध हो रहा है। युवा ओपन बार के रूप में कहीं भी सड़क पर बैठकर पार्टियां मना रहे हैं। सीहोर जिले में तो गांव-गांव में यह स्थिति है कि किरानों की दुकानों से लेकर लोगों ने घरों में शराब की दुकानें खोल रखी हैं। यह आसानी से कहीं भी उपलब्ध हो जाती है। इसके अलावा गांजे की पुड़िया एवं अन्य तरह के नशे का सामान भी आसानी से मिल जाता है। इसकी गिरफ्त में सबसे ज्यादा युवा आ रहे हैं। वे शराब, गांजा पीकर जहां बर्बाद हो रहे हैं तो वहीं परिवारों में भी इनके कारण लड़ाई-झगड़े हो रहे हैं। अब सीहोर में पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार शुक्ला के नेतृत्व में पुलिस द्वारा इसको लेकर अभियान की शुरूआत की जा रही है। अभियान में पुलिस युवाओं सहित अन्य लोगों को जागरूक करेगी, लेकिन पुलिस को इसके लिए सख्ती भी बरतनी होगी। बिना भय के प्रीत नहीं होती… ऐसी ही स्थिति नशा करने वालों की है। नशे के साथ में सीहोर जिले में अवैध रूप से जुआं, सट्टा एवं डंडी का भी तेजी से चलन है। इस जुआं, सट्टा और डंडी के खेल में भी इनको चलाने व खिलाने वाले तो जमकर कमाई कर रहे हैं, लेकिन इनको खेलने वाले बर्बाद हो रहे हैं। सबसे ज्यादा युवा इसके चंगुल में फंसे हुए हैं। वे जुआं, सट्टा और डंडी के खेल में लाखों के कर्जों में डूब रहे हैं। पुलिस को इन अवैध कार्यों को लेकर भी सख्ती करनी चाहिए, ताकि देश का भविष्य युवा इनकी गिरफ्त से बाहर आए और वह अपने परिवार को खुशियां दें। अब सीहोर पुलिस से उम्मीद है कि वे लोगों के घरों में खुशियां देंगे और इस नशे के कारोबार से सीहोर जिले को मुक्ति दिलाएंगे।

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