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नशे में ’बचपन’, जुआं-सट्टा-डंडी में ’युवा’ हो रहे बर्बाद…

सुमित शर्मा, सीहोर
देश का भविष्य आने वाली पीढ़ियां इनमें बच्चे और युवा दोनों शामिल हैं। ये नशा, जुआं, सट्टा, डंडी के खेल में बर्बाद हो रहे हैं। जिन माता-पिता ने कड़ी मेहनत से इन बच्चों को शिक्षा दिलाई, बेहतर करने की प्रेरणा दी, लेकिन वे ही अब इन अवैध एवं अनैतिक कार्यों में लगातार संलिप्त होते जा रहे हैं। सीहोर जिले की बात करें तो यहां पर इन युवाओं की संख्या का आंकड़ा चौंकाने वाला है। नशा व जुआं, सट्टा और डंडी का खेल न सिर्फ इन युवाओं को बर्बाद कर रहा है, बल्कि उन्हें मानसिक रोगी भी बना रहा है। सीहोर जिले में तो देश का पहला मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास केंद्र भी खुल गया है। सीहोर जिले में ऐसे युवाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जो नशे की लत के कारण मानसिक रूप से विक्षिप्त हो रहे हैं। युवाओं, बच्चों सहित अन्य लोगों में नशे की लत, नशे की बुराइयों को दूर करने को लेकर इस समय पुलिस द्वारा नशा मुक्ति जन-जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। इसके लिए लगातार गतिविधियां की जा रही हैं, स्कूलों-कॉलेज में जाकर छात्र-छात्राओं को नशे की बुराइयों के बारे में बताया जा रहा है, उन्हें समझाया जा रहा है कि वे इससे कैसे दूर रहें। गांव-गांव में जाकर भी लोगों को बताया जा रहा है। इसके अलावा अन्य गतिविधियां भी संचालित की जा रही हैं, लेकिन यह भी सच है कि जनजागरूकता अभियान के साथ ही शहर से लेकर गांव-गांव और घर-घर से नशे का कारोबार भी चलाया जा रहा है। सीहोर जिला इन अवैध गतिविधियों के लिए मशहूर भी है। पुलिस द्वारा समय-समय पर चलाए जाने वाले अभियान के दौरान बड़ी मात्रा में अवैध शराब, गांजा सहित अन्य नशीले पदार्थ पकड़ाए भी जाते हैं। बुधनी विधानसभा तो इसके लिए सबसे ज्यादा चर्चाओं में रहती है। कहा जाता है कि यहां पर हर दिन करोड़ों रूपए का जुआं, सट्टा और डंडी का खेल खेला जाता है। इस कारोबार में कई बड़े-बड़े लोग शामिल होते हैं। हर दिन करोड़ों रूपए की बाजियां लगाई जाती हैं, लेकिन इन तक पुलिस के हाथ नहीं पहुंच सके हैं। पुलिस कार्रवाई करती है तो छोटे बाजीगरों को तो दबोच लेती है, लेकिन इनके बड़े बाजीगर अब तक पुलिस की पकड़ से दूर हैं। इस खेल में युवा बर्बाद हो रहे हैं। जुआं, सट्टा, डंडी को चलाने वाले तो हर दिन जमकर कमाई कर रहे हैं, लेकिन इनके कारण कई युवा पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं। वे लाखों, करोड़ों के कर्ज में डूब चुके हैं। इसके कारण जहां कई युवा आत्महत्या जैसा कदम उठा चुके हैं तो कई युवा अपनी पैतृक जमीनें, घर सहित अन्य बेशकीमती सामान को बेचकर इसकी भरपाई कर चुके हैं। इस खेल को खिलाने वाले बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। पुलिस को नशामुक्ति जनजागरूकता अभियान के साथ ही ऐसे अनैतिक और अवैध कार्य करने वालों तक भी पहुंचना चाहिए, ताकि हमारे देश का भविष्य बच्चे, युवा सुरक्षित रह सकें।

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