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आष्टा में धूमधाम से मना दशहरा, व्यवस्था में कमी और सम्मान पर उठे सवाल

सीहोर। विजयदशमी का पर्व आष्टा नगर में इस वर्ष भी पारंपरिक उल्लास और आस्था के साथ मनाया गया। सुबह से ही नगर में उत्सव का माहौल था, लेकिन भव्य आयोजन के दौरान व्यवस्थाओं में कमी और मंच पर सम्मान की स्थिति को लेकर सवाल खड़े हो गए।
दशहरा उत्सव की शुरुआत अलसुबह खेड़ापति हनुमान मंदिर में हुई, जहां भव्य आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। भगवान हनुमान के दर्शन के बाद नगरवासी सीताफल की पवित्र शाखाएं लेकर अपने घरों को लौटे, जिसे समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है। दोपहर 12 बजे भाऊ बाबा मंदिर से दशहरा का विशाल जुलूस प्रारंभ हुआ। यह जुलूस नगर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ सबसे पहले पुराने दशहरा मैदान पहुंचा, जहां प्रतीकात्मक रूप से रावण दहन की परंपरा निभाई गई। इसके बाद जुलूस नए दशहरा मैदान पहुंचा।
आतिशबाजी ने मोहा मन
नए मैदान में रंग-बिरंगी आतिशबाजी ने लोगों का मन मोह लिया। यहां भव्य मंच पर अतिथियों को स्थान दिया गया। मंच के समीप ही राम, हनुमान और रावण के बीच युद्ध का जीवंत मंचन हुआ। युद्ध के समापन के साथ ही रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन हुआ। रावण जलते ही पूरा मैदान जय श्रीराम के नारों से गूंज उठा। पुतला दहन के बाद नगरवासियों ने एक-दूसरे को दशहरे की शुभकामनाएं दीं। इस दौरान कुछ देर के लिए बारिश ने खलल डाला, लेकिन लोगों की आस्था और उत्साह में कोई कमी नहीं आई।
भव्य आयोजन में व्यवस्था पर उठे सवाल
जहां एक ओर हजारों लोगों ने आस्था के इस पर्व को धूमधाम से मनाया, वहीं दूसरी ओर दशहरा उत्सव समिति की व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठे। आयोजन समिति के अध्यक्ष मंच से व्यवस्थाओं पर ध्यान देने की बजाय स्वयं माइक थामे रहे और लगातार अपीलें करते रहे। लोगों ने महसूस किया कि माइक से भाषण अधिक और भीड़ तथा व्यवस्था पर नियंत्रण कम था।
भगवान नीचे, अतिथि मंच पर बैठे
सबसे दुखद दृश्य यह रहा कि जिस ‘नाम’ या चरित्र के कारण यह पर्व मनाया जाता है। संभवत: रामलीला के कलाकार या राम का रूप धारण करने वाले व्यक्ति उन्हें मंच से दूर नीचे बैठाया गया, जबकि अतिथिगण मंच पर आसीन रहे। इस घटना ने समाज के भीतर सम्मान और व्यवस्थाओं की स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन कमियों के बावजूद हजारों की संख्या में उपस्थित लोगों ने आस्थाए परंपरा और सामाजिक एकता के इस पर्व को पूरे उत्साह से मनाया। आष्टा नगर में एक बार फिर विजयादशमी ने बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया।

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