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गुरुदेव दत्त कुटी में शिव महापुराण: महाकालेश्वर से रामेश्वरम तक द्वादश ज्योतिर्लिंगों की महिमा का बखान

सीहोर। नर्मदा तट के उत्तरी छोर पर स्थित गुरुदेव दत्त कुटी तीर्थ क्षेत्र, आवली घाट में पूज्य नागा बाबा मंहत स्वामी जमुना गिरी जी महाराज की प्रेरणा से आयोजित शिव श्री महापुराण कथा के अष्टम दिवस को वृंदावन धाम से पधारे राष्ट्रीय धर्माचार्य कान्हा जी महाराज ने द्वादश ज्योतिर्लिंगों की अद्भुत महिमा का वर्णन किया।
व्यासपीठ से कान्हा जी महाराज ने सबसे पहले महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की महिमा का गुणगान किया। उन्होंने कहा कि जो मनुष्य अपने जीवन में विषम परिस्थितियों और गहरे संकटों से घिर जाए, उसे एक बार अवंतिका पुरी उज्जैन जाकर भगवान महाकाल के दर्शन अवश्य करने चाहिए। महाकाल के दर्शन मात्र से मनुष्य के जीवन के सारे कठिन रास्ते सुगम हो जाते हैं।
ओमकारेश्वर और ममलेश्वर की कथा
इसके बाद उन्होंने ओंकार तीर्थ एवं ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा सुनाई। महाराज श्री ने बताया कि जिस स्थान पर यह तीर्थ स्थित है, वहां पहाड़ी के चारों ओर नर्मदा नदी बहने के कारणए ऊंचाई से देखने पर यह ओम के आकार का दिखता है, इसीलिए इसे ओंकारेश्वर के नाम से जाना जाता है।
विश्वनाथ से रामेश्वरम तक का वर्णन
कथा प्रवक्ता कान्हा जी महाराज ने आगे विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग काशी का वर्णन किया, जहां महादेव के साथ देवी पार्वती भी विराजमान हैं और मान्यता है कि काशी में मृत्यु होने पर मोक्ष मिलता है। उन्होंने त्र्यंबकेश्वर की कथा सुनाई, जहां ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा एक साथ होती है। वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का संबंध त्रेतायुग से बताते हुए उन्होंने रावण द्वारा शिवलिंग को लंका ले जाने के प्रयास और भगवान शिव की शर्त का प्रसंग सुनायाए जिसके कारण शिवलिंग वहीं स्थापित हो गया।
इसके अलावा उन्होंने नागेश्वर ज्योतिर्लिंग द्वारका की महिमा बताई, जिसका अर्थ नागों के ईश्वर है। अंत में उन्होंने रामेश्वरम की कथा सुनाई कि त्रेतायुग में रावण का वध करने के बाद श्रीराम ने समुद्र तट पर बालू से शिवलिंग बनाकर पूजा की थी, जिसे ही आज रामेश्वरम के नाम से जाना जाता है।
दत्त जयंती की तैयारी
पूज्य श्री कान्हा जी महाराज ने कहा कि संतान की अभिलाषा रखने वाले दंपति भी महापुराण के दर्शन के बाद खाली हाथ नहीं जाते। वहीं, स्वामी जमुना गिरी जी महाराज ने बताया कि कल बड़े धूमधाम से गुरुदेव दत्त कुटी में दत्त जयंती का महापर्व मनाया जाएगा।

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