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अटल जयंती विशेष: जब विदिशा में अटल जी ने खुद ‘शिवराज’ को चुना अपना ‘उत्तराधिकारी’

सीहोर। आज 25 दिसंबर है, पूरा देश भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती मना रहा है। लेकिन मध्यप्रदेश और विशेषकर विदिशा संसदीय क्षेत्र के लिए यह दिन केवल एक जयंती नहीं, बल्कि उस ऐतिहासिक राजनीतिक विरासत को याद करने का दिन है, जिसने प्रदेश को शिवराज सिंह चौहान जैसा जननायक दिया। बहुत कम लोग जानते हैं कि शिवराज सिंह चौहान को विदिशा की राजनीति में स्थापित करने वाले स्वयं अटल जी थे।
साल 1991 के लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी जी ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था- उत्तर प्रदेश की लखनऊ और मध्य प्रदेश की विदिशा। विदिशा जनसंघ के जमाने से ही भाजपा का अभेद्य किला रहा था। अटल जी की लोकप्रियता का आलम यह था कि उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता और दो बार के सांसद प्रताप भानु शर्मा को 1,03,894 मतों के विशाल अंतर से करारी शिकस्त दी। अटल जी को 2,79,238 वोट मिले थे।
अटल जी का ‘त्याग’, शिवराज का राज्याभिषेक
दोनों सीटों से जीतने के बाद अटल जी के सामने एक को चुनने की चुनौती थी। उन्होंने लखनऊ को अपनी कर्मभूमि बनाए रखा और विदिशा सीट से इस्तीफा दे दिया। लेकिन जाते-जाते उन्होंने विदिशा की जनता को अकेला नहीं छोड़ा। उन्होंने खुद एक युवा और ऊर्जावान विधायक शिवराज सिंह चौहान का नाम इस सीट के उत्तराधिकारी के रूप में आगे बढ़ाया। उस समय शिवराज बुधनी से विधायक थे।
उपचुनाव और एक नए युग की शुरुआत
1991 के अंत में हुए उपचुनाव में शिवराज सिंह चौहान ने पहली बार संसद की दहलीज लांघी। उन्होंने अटल जी के ही प्रतिद्वंदी प्रताप भानु शर्मा को 81000 से अधिक वोटों से हराकर यह साबित कर दिया कि अटल जी का चुनाव बिल्कुल सही था। इसी जीत ने शिवराज सिंह चौहान को दिल्ली की राजनीति में मजबूती से स्थापित किया।
33 साल बाद फिर वही प्रतिद्वंदी और रिकॉर्ड जीत
सियासत का चक्र देखिए साल 1991 में जिस प्रताप भानु शर्मा को हराकर शिवराज पहली बार सांसद बने थे, ठीक 33 साल बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में फिर वही प्रतिद्वंदी उनके सामने थे। इस बार शिवराज सिंह चौहान ने इतिहास रच दिया। उन्होंने 11,16,460 वोट हासिल किए और 8,21,408 मतों के रिकॉर्ड अंतर से जीत दर्ज की, जो देश की सबसे बड़ी जीत में शुमार हुई।
विदिशा से ‘छह बार’ का अटूट रिश्ता
अटल जी के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में शुरू हुआ यह सफर आज वटवृक्ष बन चुका है। शिवराज सिंह चौहान अब तक 6 बार (1991, 1996, 1998, 1999, 2004 और 2024) विदिशा के सांसद चुने जा चुके हैं। आज अटल जी की जयंती पर विदिशा-बुदनी की गलियां उस दौर को याद करती हैं जब एक महानायक ने एक युवा के हाथ में अपनी मशाल थमाई थी।

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