निजी फायदे के लिए बयान देना हिंदुत्व नहीं-RSS प्रमुख भागवत
बीते दिनों हरिद्वार की धर्म संसद में दिए गए बयानों को लेकर काफी विवाद हो रहा था। इस मामले में वसीम रिजवी उर्म जितेंद्र त्यागी की गिरफ्तारी भी हुई। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) चीफ मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि इस तरह की धर्म संसदों का आयोजन हिंदुत्व की विचारधारा से अलग है। इसका हिंदुत्व से कोई लेना-देना नहीं है। भागवत ने इस आयोजन को लेकर दुख व्यक्त किया।
वह 'हिंदुत्व और राष्ट्रीय एकता' विषय पर भाषण दे रहे थे। नागपुर में एक अखबार के 50 साल पूरे होने के मौके पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। भागवत ने कहा, 'हिंदुत्व कोई वाद नहीं है। इसका अंग्रेजी अनुवाद भी हिंदूनेस होता है। रामायण औऱ महाभारत में तो कहीं हिंदू भी नहीं लिखा है। इसका उल्लेख गुरु नानक देव ने किया था। यह काफी लचीला है औऱ अनुभव के हिसाब से इसमें परिवर्तन होते रहते हैं।'
'निजी फायदे के लिए बयान देना हिंदुत्व नहीं'
उन्होंने कहा कि निजी फायदे या फिर शत्रुता के लिए कोई बयान दे देना हिंदुत्व नहीं है। आऱएसएस चीफ ने कहा, 'RSS या फिर जो लोग भी सही रूप में हिंदुत्व को मानते हैं वे इसके बिगड़े हुए अर्थों पर ध्यान नहीं देते। वे विचार करते हैं औऱ समाज में बैलेंस बनाने का काम करते हैं।' बता दें कि हरिद्वार की धर्म संसद का वीडियो वायरल हो गया था जिसमें अस्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसक शब्दों का प्रयोग किया जा रहा था। यह वीडियो 17 से 19 दिसंबर के बीच का था। इसी तरह का कार्यक्रम छत्तीसगढ़ के रायपुर में 26 दिसंबर को हुआ था। यहं कालीचरण महाराज नाम के धर्मगुरु ने कथित तौर पर महात्मा गांधी के विरुद्ध भाषण दिया था।
संघ प्रमुख ने कहा कि वीर सावरकर ने हिंदू समुदाय की एकता और उसे संगठित करने की बात कही थी लेकिन उन्होंने यह बात भगवद गीता का संदर्भ लेते हुए कही थी, किसी को खत्म करने या नुकसान पहुंचाने के परिप्रेक्ष्य में नहीं.
क्या भारत 'हिंदू राष्ट्र' बनने की राह पर है
क्या भारत 'हिंदू राष्ट्र' बनने की राह पर है. इस सवाल पर मोहन भागवत ने कहा- यह हिंदू राष्ट्र बनाने के बारे में नहीं है. भले ही इसे कोई स्वीकार करें या न करें. यह वही (हिंदू राष्ट्र) है. हमारे संविधान की प्रकृति हिंदुत्व वाली है. यह वैसी ही है जैसी कि देश की अखंडता की भावना. राष्ट्रीय अखंडता के लिए सामाजिक समानता कदापि जरूरी नहीं है. भिन्नता का मतलब अलगाव नहीं होता.
मोहन भागवत ने स्पष्ट रूप से कहा कि संघ का विश्वास लोगों को बांटने में नहीं बल्कि उनके मतभेदों को दूर करने में है. इससे पैदा होने वाली एकता ज्यादा मजबूत होगी. यह कार्य हम हिंदुत्व के जरिए करना चाहते हैं.
भगवद् गीता के बारे में बात करेगा समुदाय
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, 'यहां तक कि वीर सावरकर ने कहा था कि अगर हिंदू समुदाय एकजुट और संगठित हो जाता है तो वह भगवद् गीता के बारे में बोलेगा न कि किसी को खत्म करने या उसे नुकसान पहुंचाने के बारे में बोलेगा.