विधायक राजश्री ने पीएचइ विभाग के खिलाफ मोर्चा,धरना देने के लिए मजबूर
विदिशा
शमशाबाद विधायक राजश्री सिंह ने एक बार फिर अपनी ही सरकार के पीएचइ विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम लिखा एक पत्र मीडिया को जारी करते हुए कहा है कि यदि 19 फरवरी तक उनके द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध नहीं हुई तो 20 फरवरी से वे शमशाबाद बसस्टेंड पर अनिश्चितकालीन धरना देने के लिए मजबूर हो जाएंगी।
विधायक राजश्री सिंह ने मुख्यमंत्री के नाम लिखे पत्र में जिक्र किया है कि मेरे द्वारा 21 अक्टूबर 2021 से अब तक चार बार पत्र लिखकर कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से जानकारी मांगी गई। लेकिन पीएचइ द्वारा अब तक चाही गई जानकारी नहीं दी गई है। कलेक्टर ने भी मेरे सामने कार्यपालन यंत्री से कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए तीन दिन में जानकारी देने को कहा गया था, लेकिन उनके कहने पर भी जानकारी नहीं दी गई। विधायक ने मुख्यमंत्री को संबोधित पत्र में लिखा है कि आप और हमारी सरकार हर ग्रामीण परिवार को पेयजल सुविधा मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है, इसके लिए करोड़ों रूपए योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए दिया गया है, लेकिन पिछले तीन साल में कार्यपालन यंत्रियों और उनके विभाग द्वारा निरंतर घटिया काम कराकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है।
विधायक राजश्री ङ्क्षसह ने आरोप लगाया कि जिन गांव में नल जल योजना स्वीकृत हुई है, वहां न तो ग्रामीणों को पेयजल मिल रहा है और न ही पीएचइ द्वारा खोदी गई सडक़ों का फिर से निर्माण कराया गया है। कार्यपालन यंत्री और उनके अधीनस्थ द्वारा खुलकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। विधायक से सीएम को लिखा है कि हम मर्यादा को बनाए रखते हुए कलेक्टर से कहते हैं, लेकिन कलेक्टर भी अपने आपको जानकारी दिलाने में असमर्थ पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में एक ही सहारा है, मैं अपने पद और पार्टी की मर्यादा भंग करना नहीं चाहती लेकिन मजबूर हूं। यदि 19 फरवरी तक चाही गई जानकारी नहीं दी गई, योजनाओं को स्वीकृत कराने, अधूरी छोड़ी गई योजनाओं को शुरू करने का काम शुरू नहीं किया गया तो 20 फरवरी से धरने पर बैठूंगी। उधर ये पत्र लेकर कलेक्टर के पास पहुंची विधायक के सामने ही कलेक्टर उमाशंकर भार्गव ने पीएचइ के कार्यपालन यंत्री एसके साल्वे को बुलाया। साल्वे ने मीडिया को बताया कि जानकारी तैयार हो गई है, विधायक को उपलब्ध कराई जा रही है। विधायक राजश्री ने कहा कि पिछले कार्यपालन यंत्री एसके जैन के समय का मामला है जो सुनते थे और न ही फोन उठाते थे।