टैक्स लगाना सरकार का अधिकार, इसका मतलब क्रिप्टो को वैध करना नहीं: वित्त मंत्री
नई दिल्ली
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि कोरोना महामारी के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को 9.57 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसके बावजूद सरकार ने खुदरा मुद्रास्फीति को 6.2 फीसदी पर रखने में सफल रही। आम बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 का बजट अर्थव्यवस्था में स्थिरता, निरंतरता तथा कराधान के मामले में भरोसा लाने के लिए है। उन्होंने कहा कि इस बजट में देश की आजादी के 100 वर्ष पूरे होने का लेकर एक विजन है और इसके मद्देनजर सरकार का ध्यान विकास पर केंद्रित है।
उन्होंने यूपीए सरकार के प्रदर्शन से तुलना करते हुए कहा कि 2008-09 के वैश्विक मंदी के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति की दर 9.1 प्रतिशत थी, जबकि कोविड महामारी के दौरान यह 6.2 प्रतिशत रही। हालांकि कोविड-19 महामारी का अर्थव्यवस्था पर कहीं अधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को महामारी के कारण 9.57 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ जबकि 2008-09 में वैश्विक मंदी के समय 2.12 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। उन्होंने कहा कि 2014 में एनडीए के सत्ता में आने के बाद केवल छह बार मुद्रास्फीति की दर 6 फीसदी से ऊपर गई है। यह बताता है कि महंगाई दर प्रबंधन मजबूत है। उन्होंने कहा कि सरकार ने आरबीआई को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बरकरार रखने को कहा है। उन्होंने कहा कि 7 साल पहले अर्थव्यवस्था 1.1 लाख करोड़ थी जोकि अब 2.32 लाख करोड़ हो गई है।
अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक पूंजीगत व्यय में वृद्धि पर जोर
उन्होंने कहा कि राजस्व व्यय की तुलना में पूंजीगत व्यय का प्रभाव व्यापक होता है और इसलिए सरकार ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक पूंजीगत व्यय में वृद्धि पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार स्टार्टअप को भी बढ़ावा दे रही है जिसके फलस्वरूप महामारी के दौरान कई ‘यूनिकॉर्न’ (एक अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन वाले स्टार्टअप) बने हैं। उन्होंने कहा कि आर्थिक समीक्षा और बजट में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर के अनुमान को लेकर अंतर कोई चिंता की बात नहीं है। इस अंतर का कारण अलग-अलग स्रोत से लिए गए आंकड़े हैं। सार्वजनिक व्यय के बारे में उन्होंने कहा कि 7.5 लाख करोड़ रुपये के व्यय से व्यापक स्तर पर रोजगार सृजित होंगे। साथ ही कहा कि 14 सेक्टरों के लिए उत्पादकता से जुड़ी प्रोत्साहन योजना केवल 60 लाख नौकरियों के सृजन तक ही सीमित नहीं रहेगा।
मनरेगा में मांग बढ़ने पर बढ़ाई जाएगी राशि
उन्होंने कहा कि मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) मांग आधारित कार्यक्रम है। इसके लिए 73,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है और यदि मांग बढ़ती है, राशि बढ़ाई जाएगी। उन्होंने कहा कि खाद सब्सिडी के लिए 2021-22 के बजट में 79,530 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था जो संशोधित अनुमान में बढ़कर 1.4 लाख करोड़ रुपये हो गया। यह दिखाता है कि सरकार जरूरतों का ध्यान रखती है और आवश्यकता अनुसार कदम उठाती है।
जीडीपी वृद्धि 9.2 फीसदी रहने का अनुमान
छोटे उद्योगों के बंद होने के विपक्ष के आरोपों पर उन्होंने कहा कि 67 प्रतिशत एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) ‘लॉकडाउन’ की वजह से अस्थायी रूप से बंद हुए थे। उन्होंने कहा कि मंदी का सवाल ही नहीं है क्योंकि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
क्रिप्टोकरेंसी पर कर लगाना हमारा संप्रभु अधिकार
किप्टो करेंसी पर वित्तमंत्री ने कहा कि इस पर पाबंदी लगेगी या नहीं, यह निर्णय जारी विचार-विमर्श के बाद किया जाएगा। यह वैध है या नहीं, यह अलग सवाल है लेकिन मैंने इससे प्राप्त लाभ पर कर लगाने का प्रस्ताव किया है क्योंकि यह हमारा संप्रभु अधिकार है। कृषि क्षेत्र में ड्रोन के उपयोग का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह भारतीय कृषि को बेहतर और आधुनिक बनाने में कारगर साबित होगा।
100वीं वर्षगांठ पर विजन नहीं होगा तो पहले के 70 सालों की तरह उठाना पड़ेगा खामियाजा
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाई गई विभिन्न योजनाओं का विस्तार से जिक्र किया। उन्होंने कहा कि देश के लिए आगामी 25 साल बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। इसलिए हमने इसे अमृत काल कहा है। उन्होंने कहा कि देश अपनी आजादी की 100वीं वर्षगांठ पर कहां होगा, यदि इसके बारे में एक विजन नहीं होगा तो हमें इसका खामियाजा ठीक उसी तरह से भुगतना होगा जैसा हमने पहले के 70 सालों में उठाया…और इनमें से 65 साल कांग्रेस ने शासन किया। उस कांग्रेस ने जिसके पास कोई विजन नहीं था सिवाय एक परिवार को फायदा पहुंचाने के।