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रूद्रधाम में बने महाकालेश्वर, भस्म आरती भी हुई

- महाशिवरात्रि पर शिवमय हुआ माहौल, शिवालयों में हुई पूजा-अर्चना और शिवजी का अभिषेक

रेहटी। तहसील के रमघड़ा स्थित पवित्र रूद्रधाम पर चल रहे नवकुंडात्मक श्री शिवशक्ति महायज्ञ के छठवें दिन महाशिवरात्रि के अवसर पर उज्जैन के श्री महाकालेश्वर शिवलिंग बनाए गए और उनकी पूजा-अर्चना एवं अभिषेक किया गया। इसके बाद शाम को महाकालेश्वर भगवान की भस्म आरती भी हुई।
रुद्रधाम आश्रम पर पिछले 22 वर्षों से लगातार नव कुंडात्मक श्रीशिव शक्ति महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। इसी कड़ी में इस वर्ष भी आयोजन चल रहा है। महायज्ञ का आयोजन श्री परमहंस जी महाराज एवं श्री बजरंगगिरी जी महाराज के मार्गदर्शन एवं संरक्षण में आयोजित किया जा रहा है। 25 फरवरी से 3 मार्च तक चलने वाले इस महायज्ञ में हर दिन अलग-अलग शिवलिंग बनाकर इनकी पूजा-अर्चना एवं अभिषेक किया जा रहा है। इसके साथ ही 11 लाख पार्थिव शिवलिंग का भी निर्माण यहां पर किया जा रहा है। महाशिवरात्रि के अवसर पर उज्जैन के श्री महाकालेश्वर भगवान का शिवलिंग बनाया गया और उनकी पूजा-अर्चना की गई। इस दौरान द्वादश ज्योतिर्लिंग निर्माण सेवक आचार्य जीवन लाल जी शास्त्री ने उज्जैन एवं महाकालेश्वर की महिमा का वर्णन भी किया। उन्होंने बताया कि भगवान महाकालेश्वर की महिमा सबसे निराली है। महाकाल बाबा की सेवा करने से भक्त कभी भी काल के गाल में नहीं समाता है। भगवान महाकाल उसकी हमेशा सुरक्षा करते हैं।
उमड़ा भक्तों का जनसैलाब- 
महाशिवरात्रि के अवसर पर रूद्रधाम आश्रम पर सुबह से ही भक्तों का आने का सिलसिला शुरू हो गया, जो देर शाम तक जारी रहा। आसपास के क्षेत्र सहित भोपाल, होशंगाबाद सहित अन्य शहरों से भी यहां पर भक्त दर्शन के लिए पहुंचे। इस दौरान उन्होंने रुद्रधाम आश्रम पर भगवान शिव का अभिषेक किया और यहां चल रहे नव कुंडात्मक शिवशक्ति महायज्ञ में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
हर दिन कराया जा रहा है भंडारा-
महायज्ञ के दौरान रुद्रधाम आश्रम पर भक्तों के द्वारा हर दिन भंडारा भी कराया जा रहा है। महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां पर फलाहार का प्रसाद वितरण किया गया। आश्रम पर हर दिन सुबह से भगवान रुद्रधाम का अभिषेक किया जाता है। इसके साथ ही पार्थिव शिवलिंग निर्माण होता है। फिर पार्थिव शिवलिंगों की पूजा-अर्चना और अभिषेक होता है। इस दौरान पंडित जीवन लाल जी शास्त्री द्वारा कथा भी श्रवण कराई जाती है। कार्यक्रम में प्रदीप शास्त्री, सन्देश शास्त्री, राजेश शास्त्री, कपिल शास्त्री सहित अन्य ब्राह्मण एवं बड़ी संख्या में समिति के सदस्य सेवा में जुटे हुए हैं।
टपकेश्वर महादेव पर भी पहुंचे श्रद्धालु भक्त- 
महाशिवरात्रि के अवसर पर टपकेश्वर महादेव मंदिर पर भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त पहुंचे। सलकनपुर से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर जंगल में यह स्थान है। यहां पर एक प्राचीन गुफा है। इसका इतिहास 100 साल पुराना बताया जाता है। इस गुफा में एक शिवलिंग है, जिस पर 12 माह जलधारा बहती है। यह जलधारा प्राकृतिक है। यहां पहुंचने के लिए मुख्य मार्ग नकटीतलाई से करीब 5 किलोमीटर जंगल की तरफ जाना पड़ता है। जंगल एवं पथरीला रास्ता होने के कारण यहां पर बड़े बाहर नहीं पहुंचते हैं, लेकिन कई लोग आधी दूरी कार एवं मोटरसाइकिल से तय करते हैं। इसके बाद लगभग 3 किलोमीटर तक यहां पर पैदल जाना पड़ता है। महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां पर भी कई शिव भक्तों द्वारा फलाहार का प्रसाद वितरण किया गया।

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