UNSC में एक बार फिर यूक्रेन युद्ध पर बोला भारत, जैविक हथियार निर्माण पर रूस- अमेरिका को नसीहत?
नई दिल्ली/न्यूयॉर्क
यूक्रेन युद्ध को लेकर अभी तक 'तटस्थ' रूख रखने वाले भारत ने यूक्रेन में जैविक हथियार प्रयोगशाला को लेकर यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल में बड़ा बयान दिया है और दुनिया के सभी देशों से 'बीटीडब्ल्यूसी' सम्मेलन का पालन करने और उसके सिद्धांतों को सुनिश्चित करने का आह्वान किया है।
जैविक हथियार पर यूनएससी में मीटिंग
रूस ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि, यूक्रेन में जैविक हथियार निर्माण के लिए अमेरिका 30 प्रयोगशाला चला रहा था और यूक्रेन रासायनिक हथियारों के निर्माण में अमेरिका की मदद कर रहा था। वहीं, अमेरिका ने आशंका जताते हुए कहा है कि, यूक्रेन युद्ध में अभी तक रूस को जीत नहीं मिली है, लिहाजा अब रूस जैविक हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है। लिहाजा, रूस के दावों पर चर्चा के लिए शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बैठक बुलाई गई थी। जिसमें भारत ने यूक्रेन युद्ध को लेकर एक बार फिर से अपना पक्ष रखा है और भारत ने एक बार फिर से दोहराया है कि, यूक्रेन संकट का समाधान कूटनीति और बातचीत के जरिए ही किया जा सकता है और शांति समझौते के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। वहीं, भारत ने एक बार फिर से संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता पर बल दिया है।
यूएनएससी में भारत ने क्या कहा?
यूएनएससी में भारतीय राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि, भारत ने "राज्यों के हालिया बयानों और यूक्रेन से संबंधित जैविक गतिविधियों के बारे में व्यापक जानकारी" पर ध्यान दिया है।' उन्होंने कहा कि, ''भारत एक प्रमुख वैश्विक और गैर-भेदभावपूर्ण निरस्त्रीकरण सम्मेलन के रूप में 'जैविक और विषाक्त हथियार सम्मेलन' (बीटीडब्ल्यूसी) से जुड़े महत्व को रेखांकित करना चाहता है, जो सामूहिक विनाश के हथियारों की एक पूरी श्रेणी को प्रतिबंधित करता है। तिरुमूर्ति ने कहा कि, बीटीडब्ल्यूसी का अक्षरश: पूर्ण और प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।
जैविक हथियार पर भारत की नसीहत?
जैविक हथियारों को लेकर यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल पर यह बैठक रूस के अनुरोध पर बुलाई गई थी, जिसमें अमेरिका पर जैविक हथियार निर्माण करने का आरोप लगाया गया था। भारत ने बैठक के दौरान कहा कि, 'भारत का मानना है कि, जैविक हथियारों को लेकर जो भी आरोप हों, उनका निष्कर्ष बीटीडब्ल्यूसी को नियमों के आधार पर उसका फैसला करना चाहिए, जिसमें दोनों पार्टियों के बीच परामर्श और सहयोग के जरिए मुद्दे को संबोधित किया जाना चाहिए।' इसके साथ ही भारत ने कहा कि, 'भारत को उम्मीद है कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रही शत्रुता सीधी बातचीत के जरिए खत्म हो जाएगी और कूटनीति और बातचीत के अलावा कोई और विकल्प बचा नहीं है।' इसके साथ ही भारत ने कहा कि, 'गंभीर मानवीय परिस्थितियों पर फौरन ध्यान दिए जाने की जरूरत है।'
भारत की दोनों देशों से अपील
यूनाइटेड नेशंस में भारत ने एक बार फिर से दोनों ही देशों से शांति की अपील करते हुए शांति और सुरक्षा की स्थापना की बात कही है। भारत ने कहा कि, हम एक बार फिर से संबंधित सदस्य देशों से आग्रह करते हैं, कि यूनाइटेड नेशंस चार्टर और अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत एक दूसरी की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए।
रूस पर अमेरिका ने क्या आरोप लगाए?
रूस-यूक्रेन युद्ध 17 वें दिन भी जारी है और युद्ध के 15वें दिन अमेरिका ने यह कहकर सनसनी मचा दी थी, कि यूक्रेन युद्द में रूस जैविक हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है। पश्चिमी देशों के अधिकारियों ने यूक्रेन युद्ध को लेकर "गंभीर चिंता" जताई है और दावा किया है, कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेनी राजधानी कीव पर रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल करने का आदेश दे सकते हैं। स्काई न्यूज के अनुसार, एक आकलन में, पश्चिमी देशों के अधिकारियों ने कीव पर एक "पूरी तरह से भयावह" हमले को हरी झंडी दिखाई है, जिसे रूसी सेना अंजाम दे सकती है। पश्चिमी देशों ने कहा है कि, राजधानी कीव पर कब्जा करने में अब तक रूस नाकामयाब रहा है और इसी बौखलाहट में रूस की सेना कैमिकल हथियारों का इस्तेमाल कर सकती है।
रूस ने अमेरिका पर क्या आरोप लगाए
रूस के सेना के प्रमुख इगोर किरिलोव ने रिपोर्टर्स से दावा किया है कि, रूसी सेना ने 30 जैविक प्रयोगशालाओं को यूक्रेन में खोजा है, जिनमें रासायनिक और जैविक हखियारों को विकसित किया जा रहा था। रूस की तरफ से दावा किया गया है कि, इन प्रयोगशालाओं में जैविक हथियारों का निर्माण किया जा रहा था। किरिलोव ने कहा कि, "रूसी रक्षा मंत्रालय ने बार-बार सैन्य जैविक कार्यक्रमों की तरफ ध्यान आकर्षित किया है जो पेंटागन द्वारा सोवियत संघ के विघटन के बाद बने नये देशों में लागू किए जा रहे हैं, जिसमें यूक्रेन का क्षेत्र भी शामिल है, जहां 30 से अधिक जैविक प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क बनाया गया है, जिनमें हो सकता है कि, जैविक और रासायनिक हथियारों का निर्माण किया जा रहा है।