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वुमेन सेल में पत्नी की ओर से झूठी शिकायत से पति की मानसिक प्रताड़ना हुई; दिल्ली हाईकोर्ट ने रद्द की शादी

नई दिल्ली |  

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक हिंदू दंपति के विवाह को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि पत्नी ने अपने पति के खिलाफ एक झूठी शिकायत की थी, जिसके चलते उसकी (पति की) अत्यधिक मानसिक प्रताड़ना हुई। कोर्ट ने महिला के इस कृत्य को पति और उसके परिवार का चरित्र हनन बताया है। जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की एक बेंच ने कहा कि मौजूदा मामले में झूठे आरोप पति और उसके परिवार के सदस्यों का 'स्पष्ट रूप से किया गया चरित्र हनन' है।

बेंच ने एक परिवार अदालत के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें दंपति को तलाक देने से इनकार कर दिया गया था। बेंच ने कहा कि परिवार अदालत ने इस बात को नजरअंदाज किया कि पुलिस थाने जाने से पति की मानसिक प्रताड़ना हुई, जो नहीं जानता था कि उसके खिलाफ कब एक मामला दर्ज किया गया और वह गिरफ्तार हो जाएगा। पीड़ित व्यक्ति ने वकील सुमित वर्मा के मार्फत परिवार अदालत के आदेश के खिलाफ एक अपील दायर की थी। दरअसल, उसकी पत्नी ने महिलाओं के खिलाफ अपराध (सीएडब्ल्यू) संबंधी प्रकोष्ठ के समक्ष उक शिकायत दर्ज कराई थी।

अदालत ने इस बात का जिक्र किया कि ससुराल का घर छोड़ने के करीब दो साल बाद और विवाह के तीन साल बाद पत्नी ने वुमेन सेल में एक शिकायत दर्ज करा कर दहेज की मांग, बदसलूकी, शारीरिक एवं मानसिक यातना सहित अन्य निर्ममता के आरोप लगाए थे तथा ये सभी आरोप बेबुनियाद थे। बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता (पति) को इस शिकायत के सिलसिले में 30-40 बार पुलिस थाने जाना पड़ा। पुलिस थाना किसी के जाने के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थानों में शामिल नहीं है।

अदालत ने एक हालिया आदेश में कहा कि उसे जब कभी पुलिस थाने जाने की जरूरत पड़ी होगी, इसके चलते हर बार उसकी मानसिक प्रताड़ना हुई होगी। अदालत ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच संबंध ठीक होने के दायरे से काफी आगे निकल गए हैं। वे पिछले 12 साल से साथ में नहीं रह रहे हैं और संबंध को जारी रखने पर जोर देने से दोनों पक्षों को और पीड़ा पहुंचेगी। बेंच ने कहा कि लंबे समय तक दोनों पक्षों का अलग रहना खुद में तलाक के लिए एक आधार होना चाहिए। 

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