इसलिए मनाया जाता है भगोरिया पर्व
आदिवासियोें द्वारा हर वर्ष परंपरागत रूप से मनाया जाता है कि भगोरिया

सुमित शर्मा, सीहोर।
भगोरिया पर्व होली से पहले बड़े धूमधाम सेे मनाया जाता है। भगोरिया आदिवासियोें का महत्वपूर्ण त्यौैहार होता है। दरअसल भगोेरिया कोे लेकर कई तरह की मान्यताएं बताईं जाती हैं। मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में इस पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। सीहोर जिले में भी इस पर्व की धूम रहती है। सीहोर जिले के बड़े हिस्सेे में भगोरिया पर्व को मनानेे की परंपरा वर्षोें से चली आ रही है, लेकिन आज भी लोगों केे मन में यह सवाल है कि आखिरकार भगोरिया पर्व क्यों मनाया जाता है।
दरअसल होली से पहले भगोेरिया पर्व मनाया जाता है। भगोरिया पर्व पर आदिवासी समाज के युवक-युवतियां सज-संवरकर हॉट-बाजार में पहुंचते हैं और जमकर मौज-मस्ती करते हैं। भगोरिया को लेकर एक मान्यता यह है कि पहले आदिवासी समाज केे लोेग काम-धंधा करने के लिए दूसरे राज्योें में चले जाते थेे। वे वहां पर मेहनत-मजदूरी करते थेे, लेकिन होली से पहले वेे अपने घरों कोे आतेे थेे। होेली के बाद फिर वेे अपने काम-धंधोें, मजदूरी के लिए बाहर चले जातेे थे। जब ये लोग अपनेे घरों को आतेे हैं तोे इस दौरान ये अपने लिए खुशियां मनातेे हैैं, सभी लोग एकसाथ एकत्रित होकर ढोेल बजाते हैं तो इनकी महिलाएं अपना पारंपरिक डांस करती हैं। होली से पहले आदिवासी क्षेेत्रोें के ग्रामीण इलाकोें में लगने वाले हॉट बाजार के दिन भगोरिया बाजार लगता है। इसी तरह एक मान्यता ये भी है कि भगोरिया की शुरुआत राजा भोज के समय से हुई थी। उस समय दो भील राजाओं कासूमरा और बालून ने अपनी राजधानी में भगोर मेले का आयोजन शुरू किया था। इसके बाद दूसरे भील राजाओं ने भी अपने क्षेत्रों में इसका अनुसरण शुरू कर दिया। उस समय इसे भगोर कहा जाता था। वहीं, स्थानीय हाट और मेलों में लोग इसे भगोरिया कहने लगे। इसके बाद से ही आदिवासी बाहुल्य इलाकों में भगोरिया उत्सव मनाया जा रहा है। भगोरिया कोे लेकर यह भी कहा जाता हैै कि पहलेे आदिवासी युवक-युवतियां इसी भगोरिया बाजार में भागकर शादी करतेे थेे। भगोरिया के दौरान आदिवासी युवक-युवती सज-धजकर आतेे थेे और एक-दूसरे को पसंद करकेे भागकर शादी कर लेते थेे। इसी तरह की मान्यताओं के कारण भगोरिया पर्व हमेशा चर्चाओं में रहता है।