फर्जी दस्तावेज लगाकर लिया था तालाब, दिए जांच के आदेश
मांझी मछुआ सहकारी समिति मर्यादित बायां तहसील बुधनी का मामला
सीहोर-रेहटी। बुदनी विधानसभा केे अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत बायां के तालाब को फर्जी दस्तावेेज लगाकर ठेकेे पर लेने के मामले में सहायक संचालक मत्स्योद्योग द्वारा जांच के आदेश दिए गए हैं। बायां स्थित यह तालाब मांझी मछुआ सहकारी समिति मर्यादित द्वारा संचालित किया जा रहा था। समिति द्वारा फर्जी दस्तावेज लगाकर तालाब को लीज पर लिया गया था। यह तालाब लगभग 30 एकड़ में फैला हुआ है। नियमानुसार इस तालाब में ग्राम पंचायत एवं जनपद पंचायत केे अधीन आने वाला कोई व्यक्ति मछलीपालन का कार्य कर सकता है, लेकिन जनपद पंचायत द्वारा बुदनी नगर पंचायत केे निवासी को यह कार्य दे दिया गया था। जानकारी में आया है कि समिति द्वारा फर्जी दस्तावेेज लगाकर तालाब में मछलीपालन का कार्य लिया गया था।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौैहान का विधानसभा क्षेेत्र इस समय गड़बड़ियों कोे लेकर ज्यादा चर्चाओें में है। यह गड़बड़ियां पंचायतोें से लेकर अन्य विभागों में भी लगातार सामने आ रही है। इसी तरह का मामला जनपद पंचायत से जुड़ा हुआ है। यहां पर जनपद पंचायत बुधनी द्वारा गलत तरीके से बायां केे तालाब कोे ठेके पर दे दिया गया है। दरअसल बायां में स्थित तालाब पर मछलीपालन का कार्य किया जाता है। इस वर्ष भी यह काम लखनलाल मांझी पिता कोदूलाल मांझी को दिया गया है। नियमानुसार इस काम को जनपद पंचायत एवं ग्राम पंचायत के अधीन आने वाला कोेई व्यक्ति ले सकता है, लेकिन लखनलाल मांझी पिता कोदूलाल मांझी का नाम नगर पंचायत बुधनी में दर्ज हैै।
इन्हें सौंपा जांच का जिम्मा-
बायां स्थित तालाब की लीज की गड़बड़ी मीडिया में सामने आने के बाद इसके जांच के आदेश दिए गए हैं। जांच अधिकारी दिनेश कुमार पाठक सहायक मत्स्य अधिकारी कार्यालय सहायक संचालक मत्स्योद्योग सीहोर को सौंपा गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद इस मामले में कार्रवाई की जाएगी।
कलेक्टर ने भी दिए थे जांच केे आदेश-
इधर पिछले दिनों हुई टीएल बैठक में कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर ने भी अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सीहोर, आष्टा, इछावर, बुधनी और नसरूल्लागंज को भी निर्देश दिए थे कि वे अपने-अपने क्षेत्रोें के अंतर्गत आने वाली मछुआ समितियों की जांच करें। कलेक्टर ने कहा था कि यदि समितियां फर्जी हैं तो उन्हें तत्काल निरस्त करने की कार्रवाई भी की जाए। इस संबंध में सहायक संचालक मत्स्योद्योग द्वारा भी पत्र जारी किया गया है। पत्र के माध्यम से विभाग के विकासखंड अधिकारियों को निर्देशित किया गया था कि 31 दिसंबर तक अनिवार्य रूप से मछुआ समितियों की जांच करके रिपोर्ट सौैंपे। यदि इस अवधि तक रिपोर्ट नहीं सौंपी गई तो अधिकारियों का जनवरी-2022 का वेतन आहरण नहीं होगा, साथ ही यह लापरवाही उनकी गोपनीय चरित्रावली में अंकित की जाएगी।