गुजारा भत्ता न देने के लिए क्रूरता और उत्पीड़न आधार नहीं- हाई कोर्ट
नई दिल्ली
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि क्रूरता और व्यभिचार (बदचलनी) के इक्का-दुक्का कृत्यों से किसी पत्नी का उसके पति से गुजारा भत्ता पाने का अधिकार समाप्त नहीं हो जाता। हाईकोर्ट पत्नी को मासिक गुजारा भत्ता देने के लिए पति को एक निचली अदालत की तरफ से दिये गए आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने कहा कि पत्नी की तरफ लगातार और बार-बार व्यभिचार के कृत्य करने पर ही पति की तरफ से गुजारा भत्ता के भुगतान से कानूनी छूट प्राप्त हो सकती है।
कोर्ट ने कहा कि पत्नी ने पति से अलग रहते हुए एक बार या एक बार से ज्यादा कभी-कभार व्यभिचार किया है, तो उसे नजरअंदाज किया जाएगा यानी पत्नी के व्यभिचार में शामिल नहीं माना जाएगा।
निचली अदालत ने 15 हजार रुपये देने का दिया था आदेश
इससे पहले निचली अदालत ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत पारित आदेश में पति को निर्देश दिया था कि पत्नी को अगस्त 2020 से हर महीने 15 हजार रुपये दिये जाएं। निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए पति ने दलील दी कि गुजारा भत्ता देने का निर्देश कई आधार पर कायम नहीं रह सकता जिनमें क्रूरता, व्यभिचार और पत्नी द्वारा छोड़ देना शामिल है। हाईकोर्ट ने पति की रखी गई दलीलों को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि गुजारा भत्ता का भुगतान नहीं करने के लिए क्रूरता और उत्पीड़न के आधार सही नहीं हैं और जिन मामलों में क्रूरता के आधार पर तलाक दिया गया है, उनमें भी अदालतों ने पत्नी को आजीविका राशि दिये जाने के आदेश दिये हैं।
हाईकोर्ट ने पति की दलीलों को किया खारिज
हाईकोर्ट ने पति की तरफ से रखी गई दलीलों को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि भरण-पोषण के कानून का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि एक सक्षम व्यक्ति की पत्नी, बच्चे और माता-पिता निराश्रित न हों। व्यभिचार को लेकर कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पति ने पत्नी के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला भी साबित नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि पत्नी लगातार व्यभिचार में संलिप्त रही है, यह साबित करने के बाद ही सीआरपीसी की धारा 125 के तहत उसका भरण-पोषण रोका जा सकता है। इसके लिए निश्चित सबूत पेश करना होगा कि पत्नी व्यभिचार में शामिल है। कोर्ट ने कहा कि पत्नी ने पति से अलग रहते हुए एक बार या एक बार से ज्यादा कभी-कभार व्यभिचार किया है, तो उसे नजरअंदाज किया जाएगा यानी पत्नी के व्यभिचार में शामिल नहीं माना जाएगा।
सबूत के साथ साबित करना होगा व्याभिचार
अदालत ने कहा, कानून कहता है कि धारा 125 के तहत प्रावधान निकालने के लिए ( 4) सीआरपीसी के अदालत ने कहा कि पति को निश्चित सबूतों के साथ यह साबित करना होगा कि पत्नी व्यभिचार में संलिप्त है। साथ ही अलगाव में किए गए व्यभिचार के एक या अवसर के कृत्यों को 'व्यभिचार में रहना' नहीं माना जाएगा।